जरा शुभचिंतकों से

है मेरी किसको जरूरत और कितनी
पूछ लेता हूँ जरा शुभचिंतकों से

घिर अपेक्षाओं से अब तक मैं जिया
स्वत्व भूला और सब के वास्ते
दूसरो के पाँव के कांटे चुने
भूल कर अपने स्वयं के रास्ते

कोई मेरे वास्ते क्या झुक सका है
पूछ लेता हूँ ये पथ के कंटको स

क्यों भुलावों
​ में​
 उलझ जीता रहूँ
औ छलूँ में स्वप्न अपने नैन के
है अभी आशाये कितनी है जुडी
जान लू अपने घड़ीभर चैन  से

कौन से रिश्ते मुझे बांधे हुए है
पूछ लेता हूँ मैं बंधू बांधवो से

किसलिए फिर आज भटकाउं नजर
खोजते परिचय, अपरिचय में छिपा
और पढ़ना चाहूँ एक उस नाम को
जो गया ही है नही अब तक लिखा
 
शेष कितने है नयन के बिम्ब बिखर्र
पूछ लेता हूँ समय 
​अनुबन्धकों 
 से 

1 comment:

Udan Tashtari said...

हमें तो १००% जरुरत है जी आपकी..वरना पत्ता न हिले :)

है मेरी किसको जरूरत और कितनी
पूछ लेता हूँ जरा शुभचिंतकों से

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