जलेबी नाम है इसका
नए सम्वत् की अगवानी में मधुरता घोल लेने को
चुना रसपूर्ण यह व्यंजन, जलेबी। नाम है इसका
किताब- अल- ताबिकी भी नहीं बतला सकी गाथा
जलाबिया यह जुलूबिया यह ,यह मैदा की ये मावे की
ये तुर्की है या अरबी है या है यह फ़ारसी छोड़ो
मुग़लिया सल्तनत लाई, नहीं यह बात दावे की
कभी चौकोर होती है कभी आयत कभी गोला
सभी आकार इसके हैं जलेबी नाम हाँ इसका
गई लंका तो ये पानी वलालू नाम रख लाई
गई नेपाल तो यह फिर सुखद जेरी मिठाई थी
गई इंदौर तो इसने नया इक रूप था पाया
किलो में तीन, हलवाई ने भट्टी पर बनाई थी
उड़द की दाल की भी है, है खोया की,पनीरी भी
बना लो जिस तरह चाहो, जलेबी नाम है इसका
इमारती की है दादी ये, है बालूशाही की नानी
कभी बढ़ते वजन लेकर कही जाती जलेबा भी
कचौड़ी और आलू को लिए जब मेज़ पर आइ
तभी सम्पूर्ण हो पाया सुबह वाला कलेवा। भी
कभी है साथ पोहे का कहीं है दूध रबड़ी का
चनारज़ुल्पी कहो चाहे, जलेबी नाम है इसका
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