नए वर्ष के नये सूर्य

हे नए वर्ष के नये सूर्य 
इस बार उगो ले परिवर्तन

कुछ प्रखर करो धुँधली  किरने
हो नवल ऊर्जा कुछ भरने
ये बरस बरस का गहराता 
तम लगे इस बरस कुछ छँटने
मन के अँधियारे कोनो में
इक नई ज्योति फिर से जागे
सूखी नयनों की झीलों में
नव  स्वप्न लगे फिर से तिरने

यूँ करो कि कैलेंडर कर ले 
हर रोक तुम्हारा अभिनंदन 

इस बार बदल कर पंथ चलो 
उन रहीं उपेक्षित राहों पर 
जिन पर विश्रांति चिह्न अंकित 
बस सिसकी,क्रंदन , आहों पर   
उनकी तिमिराई अंगनाइ
फिर नहाए पा उज्ज्वल प्रकाश
कुछ नई अंकुरित हों कलियाँ
उनकी मुरझाई चाहों पर

बरसों से सूने मस्तक पर
खिलता हो अक्षत अरु चंदन 

बदलो इस वर्ष दिशा अपनी
चल दो दक्षिण या उत्तर को 
महलों के साये में खोते
देखो उस टूटे छप्पर को 
समदशा हो दो संप्रकाश 
फुनगी  से लेकर के जड़ तक
उतरो नीचे कंगूरों से 
करने रोशन अब घर घर को 

तब बिखरे अधरों पर सबके 
उषा से संध्या सूर्या नमन 

ओ  चित्रकार खींचो नूतन 
कुछ इंद्रधनुष वातायन में 
कुछ शान्ति चैन की बेलों को 
बो दो सन्मुख नीराजन में 
मन से मन तक की दूरी को 
नापो किरणों की डोरी से 
बाँधो अपने संचय के पल
नव  हर्षों के प्रतिपादन में 

इस बार मिटा दो हर मन में 
पलते संत्रास और कुंठन 
 

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