आप जो बदले शिकायत है नहीं कुछ भी
आजकल बदले नज़रिए देवताओं के
इंद्र को गिरिधारियों का
अब नहीं है भय
बाँटता ही है नहीं
वो काश का संचय
हो गए दिन ज्येष्ठ वाली प्रतिपदाओं से
अब नहीं धन्वन्तरि की
आज कल गिनती
द्रोण गिरि पर अब
नहीं संजीवनी उगती
पृष्ठ बिखरे चरम-सुश्रुत संहिताओं के
है नहीं सम्भावना कुछ,
आस हो पूरी
याकि मिट पाए तनिक
भी, मध्य की दूरी
पाँव डिगते कब जुड़ी कुछ आस्थाओं के
आजकल बदले नज़रिए देवताओं के
इंद्र को गिरिधारियों का
अब नहीं है भय
बाँटता ही है नहीं
वो काश का संचय
हो गए दिन ज्येष्ठ वाली प्रतिपदाओं से
अब नहीं धन्वन्तरि की
आज कल गिनती
द्रोण गिरि पर अब
नहीं संजीवनी उगती
पृष्ठ बिखरे चरम-सुश्रुत संहिताओं के
है नहीं सम्भावना कुछ,
आस हो पूरी
याकि मिट पाए तनिक
भी, मध्य की दूरी
पाँव डिगते कब जुड़ी कुछ आस्थाओं के
No comments:
Post a Comment