जाते हुए वर्ष की संध्या
भेज रही है स्नेह निमंत्रण
आओ अंगनाई में सूरज
वर्ष नया मंगलमय कहने
भेज रही है स्नेह निमंत्रण
आओ अंगनाई में सूरज
वर्ष नया मंगलमय कहने
कितनी रिसी तिमिर की गठरी
बारह मासों के गतिक्रम में
कितनी थी उपलब्ध हताशा
जीवन के अनथक उद्यम में
आँखों की देहरी से कितने
सपने टूट टूट कर बिखरे
और अपेक्षा के कितने पल
घिरे उपेक्षाओं में गुजरे
बारह मासों के गतिक्रम में
कितनी थी उपलब्ध हताशा
जीवन के अनथक उद्यम में
आँखों की देहरी से कितने
सपने टूट टूट कर बिखरे
और अपेक्षा के कितने पल
घिरे उपेक्षाओं में गुजरे
विदित तुम्हे है सब कुछ ही तो
छुपी नहीं है स्थिति कोई भी
किरणों की कैंची ले आओ
लगें कुहासे सारे छंटने
छुपी नहीं है स्थिति कोई भी
किरणों की कैंची ले आओ
लगें कुहासे सारे छंटने
बीते बरस अभी तक इतने
एक कामना को दुहराते
और बिखरती आशाओं की
छितरी किरचें बीन उठाते
पृष्ठभूमि में छिपे घटा की
जितने भी है रंग धनक के
पतन अवनिकाओ का कर दो
उभरे कल के चित्र चमक के
एक कामना को दुहराते
और बिखरती आशाओं की
छितरी किरचें बीन उठाते
पृष्ठभूमि में छिपे घटा की
जितने भी है रंग धनक के
पतन अवनिकाओ का कर दो
उभरे कल के चित्र चमक के
सपने निकल आँख के बाहर
मिले वास्तविकता से आकर
और सामने आये सवेरे
इतिहासों में वर्णित जितने
मिले वास्तविकता से आकर
और सामने आये सवेरे
इतिहासों में वर्णित जितने
स्नेह
अल्पनादहलीजों पर से अकुलाकर
नव उदियाती हुई किरण की
अगवानी में दीप जलाकर
रथ वल्गा को बना कूचियां
रंग नए दो बरस गगन को
ज्योति सुधा की वर्षा करके
शांत करो अब तिमिर तपन को
नए पृष्ठ पर नया कथानक
लिख दो, चुन लो पात्र नए ही
निर्देशक बन कर आओ तुम
नया बरस यह मंचित करने
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