उम्र की राह में हर किसी मोड़ पर नाम तेरा ही है पंथ दीपित करें
तेरे आशीष की बदलियाँ घिर घनी जेठ का ताप भी पल में शीतल करे
नाम का तेरे पारस पारस कर रहा शूल बिखरे हुए, फूल की पांखुरी
शब्द सारे ही क्षमतारहित रह गए तेरा गुणगान जो तूल भर भी करें
1 comment:
क्या बात है
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