दस्तकें देने लगा है द्वार पर नववर्ष साथी
बीज गमलों में लगायें आओ फ़िर से कामना के
जानते परिणति रहेगी,दोपहर में ओस जैसी
स्वप्न फ़िर भी आँज लें हम आँख में संभावना के
आज फ़िर से मैं कहूँ हों स्वप्न सब शिल्पित तुम्हारे
इस बरस खुल जायें सब उपलब्धियों के राज द्वारे
रुत रहे नित खिड़कियों पर धूप की अठखेलियों की
सांझ अवधी हो उगे हर भोर ज्यों गंगा किनारे
दस्तकें दें द्वार पर आ वाक्य नव प्रस्तावना के
घिस गई सुईयां यही बस बात रह रह कर बजाते
थाल में पूजाओं के, टूटे हुये अक्षत सजाते
रंगहीना हो चुकी जो रोलियां, अवशेष उनके
फ़िर भुलावे के लिये ला भाल पर अपने लगाते
मौन हैं घुंघरू, गई थक एक इस नृत्यांगना के
इसलिये इस बार आशा है कहो तुम ही सभी वह
जो कि चाहत के पटल पर चढ़ न पाया, है गया रह
जो अपेक्षित था अभी भी है नहीं आगे रहे जो
वर्ष का नव रूप जिसको जाये कर इस बार तो तय
प्राप्तिफ़ल लिख दो समय के शैल पर आराधना के
३१ दिसम्बर २०११
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बीज गमलों में लगायें आओ फ़िर से कामना के
जानते परिणति रहेगी,दोपहर में ओस जैसी
स्वप्न फ़िर भी आँज लें हम आँख में संभावना के
आज फ़िर से मैं कहूँ हों स्वप्न सब शिल्पित तुम्हारे
इस बरस खुल जायें सब उपलब्धियों के राज द्वारे
रुत रहे नित खिड़कियों पर धूप की अठखेलियों की
सांझ अवधी हो उगे हर भोर ज्यों गंगा किनारे
दस्तकें दें द्वार पर आ वाक्य नव प्रस्तावना के
घिस गई सुईयां यही बस बात रह रह कर बजाते
थाल में पूजाओं के, टूटे हुये अक्षत सजाते
रंगहीना हो चुकी जो रोलियां, अवशेष उनके
फ़िर भुलावे के लिये ला भाल पर अपने लगाते
मौन हैं घुंघरू, गई थक एक इस नृत्यांगना के
इसलिये इस बार आशा है कहो तुम ही सभी वह
जो कि चाहत के पटल पर चढ़ न पाया, है गया रह
जो अपेक्षित था अभी भी है नहीं आगे रहे जो
वर्ष का नव रूप जिसको जाये कर इस बार तो तय
प्राप्तिफ़ल लिख दो समय के शैल पर आराधना के
३१ दिसम्बर २०११
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2 comments:
बहुत ही सुन्दर शुभकामना संदेश, आपको भी नववर्ष मंगलमय हो।
सुन्दर संदेश....आपको और आपके परिवार को भी बहुत शुभकामनाएँ.
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