कुमुमी फुटेज रात के व्योम में

 कुमकुमी  फुटेज लग गये रात के व्योम में 

जुगनुओं से चमकाने लगी झाड़िया
वादियों में फूलता  बेला और मोतिया 
फुलझड़ी से सजी सारी पादंडियाँ 

पूर्णिमा होके अमानस अब हंसाती रहेगीरहेगी उल्लास भर 
रोशनी की ये नदी बहती रहेगी रात  भर 

खेल के सैंग बताशे उमड़ने लगे खिड़कियों से 
खंड के कुछ खिलौने रहे सील पे आकार के बैठे हुए
चित्र में आके उतरे गगन से देवी और देवता 
हों मुरादें सभी पूरी। अब के बरस जैसे कहते हुए 

दूर चिंताएँ होंगीं,छुपेगा समूचा संत्रास दर
रोशनी की ये नदी बहती। रहेगी रात भर 

काजरी तम का बादल न कोई उमड़े कहीं भी तनिक
और वातावरण में न आये प्रदूषण किसी और से 
भेंट जो भी प्रकृति ने दिया है हमें विश्व में प्यार से
उस में वृद्धि कराटे हुए और झाड़  विभूषित करें 

गीत में लक्षणाएँ उगेंगी अबनये अलंकार भर 
रोशनी की बड़ी ये बहती रहेगी रात भर 

राकेश खंडेलवाल
नवम्बर २०२३ 

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