​नए वर्ष की सम्भवतायें ​

 ​नए वर्ष की सम्भवतायें ​


एक बरस के अंतिम पन्ने पर
लिख कर ‘इति’ नए वर्ष ने
नए क्षितिज पर अंकित कर दी
फिर कुछ नूतन संभवतताएँ

घिसी पिटी प्राचीन कामना
कोई फिर से न दोहराये
अर्थहीन है यह भी कहना
नया वर्ष नव ख़ुशियाँ लाये
बस इतनी ही करें अपेक्षा
कर्मों का फल पूर्ण मिल  सके
जो भी आप दिशायें चुन लें
खड़ी नहीं उनमें बाधा को

हो कटिबद्ध प्रयासोन से ही
पूरी सजती अभिलाषये
फलीभूत तब ही तो होंगी
नयी नयी कुछ संभवताएँ

एक अंक ही केवल बदला
वो ही दिवस. वही सन्ध्याएँ
वो ही एक आस्था श्रद्धा
वो ही पूजन, व्रत गाथाएँ
छोड़ा सब कुछ भाग्य भरोसे
बदले नहीं रेख हाथो की
बिन प्रयास पल्लवित न होती
कलियाँ पतझड़िया शाख़ों की

ढर्रा बदले नए वर्ष में
हैं मेरी इतनी आशाएँ
शिल्पियों तब ही सकती हैं
नए पृष्ठ पर संभावनायें

बीता है जो बरस, संभाव्त:
आने वाला वैसा ही हो
है कर्मंयवाधिकारस्ते
फल संभावित हो या न हो
समिधाएँ लेकर साँसों की
करें होम इस नये वर्ष में
बाधाएँ बदलेंगी सारी
कर्मक्षेत्र से प्राप्त हर्ष में 

दहलीज़ों के पार खिंची है
स्वस्ति चिह्न से अनुकम्पाएँ 
प्राप्ति चूँ ले कदम तुम्हारे
निश्चित कर लो संभवतायें 

राकेश खंडेलवाल 
​१ जनवरी २०२३ ​



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