अर्ध निशा में

 

अर्ध निशा में 
पूनम का चाँद अचरज में डूबा डूबा पूछ रहा है
किसने  आकर अर्ध निशा में इंद्रधनुष के रंग बिखेरे

किसके अधरों की रंगत आ प्राची के आँगन रचती है 
सिंदूरी कपोल ने किसे खींची रचती परिपूर्ण अल्पना 
कौन नयन की सुरमई से करता है आकाश बेमानी
स्याम हरित किसकी परछाई उड़ा रही है नई कल्पना 

किसकी छवि आ घोल रही है धवल चाँदनी में ला केसर 
गंधों के बादल किसको छू दिशा दिशा में आकर उमड़े

किसकी त्रीबली की  हिलोर से  नभ गंगा में उठटी लगाईं
पारिजात के फूल हज़ारों आज खिले नभ की गलियों में
कौन सप्त ऋषीयों के ताप को खंडित करता बिन प्रयास के 
किसकी साँसें नव यौवन संचार कर रही हैं कलियों मे

किसकी करें प्रतीक्षा  वातायन में आ उर्वशी मेनका 
किसके स्वप्न  चित्रलेखा की रंभा की आँखों में साँवरे 

राकेश खंडेलवाल
जनवरी २०२३ 

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