आज चाँदनी यह पूनम कीचंदन के रंगों को लेकर
केसर घुले दूध सी निखरी
नभ के कजरारे पन्ने पर
स्वर्णिम उषा भरी लाज से
हाथ किए सरसों ने पीले
किरणों के रथ पर सवार हो
आते रतिपति यहाँ छबीले
अमराई में बौरे आइ
पिकी कूक कर गीत सुनाती
कोंपल लेती है अंगड़ाई
कली अधर खोले मुस्कती
दहक़ गए सारे पलाश वन
पीली पगड़ी धान पहनता
अलसाई सोती नादिया में
फिर से जाग उठी चंचलता
राग बसंती लगा गूंजने
चंगों पर पड़ती है थापें
चौपालें बतियायी फिर से
बम लहरी के सुर आलापें
ब्रज के रसिया लगी सुनाने
मस्त मगन हरियारी टोली
सूखी शाख़ों का संयोजन
चौरस्ते पर बनता होली
मौसम ने उतार कर फेंका
अपना ओढ़ा अलसायापन
लगा जगाने तड़के दिन को
अब पाखी का मधुमय गायन
१५ फ़रवरी २०२२
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