ए नए दिन आज फिर संकल्प नव ले आ गया तू
दे मुझे साहस चुनौती कर सकूँ स्वीकार तेरी
भोर जब अगवानियों का दीप तेरे पथ जलाकर
हैं रखे, हंसते अंधेरे तलघरों में मुस्कुरा कर
सावनी श्यामल घटाओं से किए गठजोड रहते
लीलने सारे उजाले, सूर्य से नज़रें। चुरा कर
पास में रख लूँ उजासें तीलियों में साथ अपने
और लड़ लूँ मैं तिमिर से जब घिरें बदली अंधेरी
दे मुझे निर्णय, थमाता है नया पाथेय कर में
जानता मैं पथ अजाने, किंतु गति रखनी निरंतर
साँझ के हर नीड़ का आश्रय सदा होता क्षणिक है
पाँव को रफ़्तार देनी मंज़िलों को लक्ष्य रख कर
मैं समझ सारे रहा इंगित, मुझे तू दे रहा है
देखता हूँ वे छवि जो ला क्षितिज पर हैं चितेरी
दे मुझे साहस चुनौती कर सकूँ स्वीकार तेरी
भोर जब अगवानियों का दीप तेरे पथ जलाकर
हैं रखे, हंसते अंधेरे तलघरों में मुस्कुरा कर
सावनी श्यामल घटाओं से किए गठजोड रहते
लीलने सारे उजाले, सूर्य से नज़रें। चुरा कर
पास में रख लूँ उजासें तीलियों में साथ अपने
और लड़ लूँ मैं तिमिर से जब घिरें बदली अंधेरी
दे मुझे निर्णय, थमाता है नया पाथेय कर में
जानता मैं पथ अजाने, किंतु गति रखनी निरंतर
साँझ के हर नीड़ का आश्रय सदा होता क्षणिक है
पाँव को रफ़्तार देनी मंज़िलों को लक्ष्य रख कर
मैं समझ सारे रहा इंगित, मुझे तू दे रहा है
देखता हूँ वे छवि जो ला क्षितिज पर हैं चितेरी
हैं विदित तुझको मेरी सीमाएँ औ’ अज्ञानताएँ
दे मुझे शिक्षा करूँ मैं साध्य को अपने सुनिश्चहित
और दे आलोक इतना अनुसरण पगचिह्न का जो
भी करें, हो जाएँ उनकी राह का हर मोड़ दीपित
मैं नज़र के क्षेत्र की सीमा मिटा कर बढ सकूँ अब
चीन्ह सम्भावनाएँ, साँझ के पट जो उकेरी
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