तमस से लड़ रहा है


ओ पथिक विश्वास वह लेकर चलो अपनी डगर पर
साथ में जिसको लिए दीपक तमस  से लड़ रहा है

ज़िंदगी के इस सफ़र में मंज़िलें निश्चित  नहीं है
एक ही संकल्प पथ में हर निमिष गतिमान रहना
लालसाएँ जाल फैलाये छुपी हर मोड़ पर आ
संयमित रहते हुए बस लक्ष्य को ही केंद्र रखना

आ घिरें कितनी घटाये व्योम पर हर इक दिशा से
सूर्य का पथ पालता कर्तव्य अपना बढ़ रहा है

चिह्न जितने पाँव के तुम देखते हो इस सफ़र में

छोड कर वे हैं गए निर्माण जो करते दिशा का

चीर पर्वत घाटियों को लांघ कर नदिया, वनों को
रास्ता करते गए  आसान पथ की यात्रा का

सामने देखो क्षितिज के पार भी बिखरे गगन पर

धनक उनके चित्र में ही रंग अद्भुत भर रहा है 

 

अनुसरण करना किसी की पग तली की  छाप का या

आप अपने पाँव के  ही चिह्न सिकता पर बनाना

पृष्ठ खोले ज़िंदगी में नित किसी अन्वेषणा के 

या घटे इतिहास की गाथाओं को ही दोहराना 

 

आज चुनना है विकल्पों में किसी भी एक को ही

सामने फ़ैला हुआ यह पथ, प्रतीक्षा कर रहा है 





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