तारों भरे कटोरे से दो घूँट चाँदनी पी लें
पिरो शांति के पल साँसों में, जरा चैन से जी लें
संध्या के आँचल पर टांकें नई कथा चौपालें
मल्हारों की चूनर ओढ़े गायें नीम की डालें
नव दुल्हन की तरह लजाती खेतों की बासन्ती
सोने के आभूषण पहने हुए धान की बालें
बिम्ब यही दिखलायें केवल नयनों वाली झीलें
तारों भरे कटोरे में से जरा चाँदनी पी लें
हवा गुनगुनी,धूप सुनहरी, बरगद की परछाईं
एक एक कर सहसा सब ही यादों में तिर आईं
पगडंडी पर गीत गुनगुनाती कोई पनिहारिन
घूँघट में से झाँका करती चेहरों की अरुणाइ
कहीं ले गईं इन्हें उड़ा कर गये समय की चीलें
तारों भरे कटोरे से कुछ आज चाँदनी पी ले
अम्मा के हाथों की रोटी,ताईजी की बड़ियाँ
नानीजी की टूटी ऐनक दादाजी की छड़ियाँ
जीजी की साड़ी के बूटे ,सलमा पोत सितारे
मुन्नी के सुर की सरगम में गूंजी बाराखड़ियाँ
सुधियों में फिर आज जल उठीं बन कर के कंदीलें
तारों भरे कटोरे से दो घूँट चाँदनी पी लें
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
नव वर्ष २०२४
नववर्ष 2024 दो हज़ार चौबीस वर्ष की नई भोर का स्वागत करने खोल रही है निशा खिड़कियाँ प्राची की अब धीरे धीरे अगवानी का थाल सजाकर चंदन डीप जला...
-
प्यार के गीतों को सोच रहा हूँ आख़िर कब तक लिखूँ प्यार के इन गीतों को ये गुलाब चंपा और जूही, बेला गेंदा सब मुरझाये कचनारों के फूलों पर भी च...
-
हमने सिन्दूर में पत्थरों को रँगा मान्यता दी बिठा बरगदों के तले भोर, अभिषेक किरणों से करते रहे घी के दीपक रखे रोज संध्या ढले धूप अगरू की खुशब...
-
जाते जाते सितम्बर ने ठिठक कर पीछे मुड़ कर देखा और हौले से मुस्कुराया. मेरी दृष्टि में घुले हुये प्रश्नों को देख कर वह फिर से मुस्कुरा दिया ...
7 comments:
अम्मा के हाथों की रोटी,ताईजी की बड़ियाँ
नानीजी की टूटी ऐनक दादाजी की छड़ियाँ
जीजी की साड़ी के बूटे ,सलमा पोत सितारे
मुन्नी के सुर की सरगम में गूंजी बाराखादियाँ
-अद्बुत बिम्ब...भाई जी..लाजबाब कर देते हैं आप!!
उत्कृष्ट शब्दगढ़ी।
गाने में बहुत अच्छा लगा ....
बहुत सुन्दर गीत ..यादों में डूबते उतरते से ...
अम्मा के हाथों की रोटी,ताईजी की बड़ियाँ
नानीजी की टूटी ऐनक दादाजी की छड़ियाँ
जीजी की साड़ी के बूटे ,सलमा पोत सितारे
मुन्नी के सुर की सरगम में गूंजी बाराखादियाँ
बेजोड़ शब्द संरचना, आज कल तो मैने इन्ही शब्द संयोजन में खो जाता हूँ...कितने सुंदर शब्द और उससे निकलती हुए बेहतरीन भाव रच पाना आसान नही.....एक उत्कृष्ट रचना के लिए हार्दिक बधाई.....प्रणाम राकेश जी
such a very nice.
flower delivery
अम्मा के हाथों की रोटी,ताईजी की बड़ियाँ
नानीजी की टूटी ऐनक दादाजी की छड़ियाँ
राकेश जी, ये दो लाईनें अपने बहुत करीब लगती हैं, बहुत खूब
Post a Comment