मौसम की फगुनाहट बिखरी
चैती ने छेड़ी सारंगी
धानी चूनर उड़े हवा में
मन पाखी बन चहके
झूम उठी पूरी फुलवारी करते अगवानी मधुपों की
कलियों ने लज्जा का घूँघट हौले हौले खोला
बासंती साड़ी में लिपटी पुरवा ने पायल खनकाई
मद्दम स्वर में कचनारों से बेला खुसपुस बोला
झुरमुट में बोगनबलिया के
खुलकर के निशिगंध यूँ हंसी
सम्मोहित गतिमान समय की
श्वास जन्म भर महके
नन्हे अंकुर हरी दूब के पलक मिचमिचा जागे
गौरेय्या ने पंख फड़फड़ा रह रह इन्हें दुलारा
फुनगी ने आवाज लगा कर अपने पास बुलाया
लगा गूंजने दूर कहीं पर भोपा का इकतारा
जमना की रेती में चमके
फागुन की पूनम के तारे
संदल की सुवास लहराई
आज हवा में बह के
खलिहानों में पके धान की स्वर्णिम झाँझर खनके
अभिलाषा के बादल उमड़े हुए व्योम पर छाये
चौपालों पर थाप चंग की, सारंगी से मिल कर
उड़ी उमंगो की सरगम से झूम झूम बतियाए
चैती ने छेड़ी सारंगी
धानी चूनर उड़े हवा में
मन पाखी बन चहके
झूम उठी पूरी फुलवारी करते अगवानी मधुपों की
कलियों ने लज्जा का घूँघट हौले हौले खोला
बासंती साड़ी में लिपटी पुरवा ने पायल खनकाई
मद्दम स्वर में कचनारों से बेला खुसपुस बोला
झुरमुट में बोगनबलिया के
खुलकर के निशिगंध यूँ हंसी
सम्मोहित गतिमान समय की
श्वास जन्म भर महके
नन्हे अंकुर हरी दूब के पलक मिचमिचा जागे
गौरेय्या ने पंख फड़फड़ा रह रह इन्हें दुलारा
फुनगी ने आवाज लगा कर अपने पास बुलाया
लगा गूंजने दूर कहीं पर भोपा का इकतारा
जमना की रेती में चमके
फागुन की पूनम के तारे
संदल की सुवास लहराई
आज हवा में बह के
खलिहानों में पके धान की स्वर्णिम झाँझर खनके
अभिलाषा के बादल उमड़े हुए व्योम पर छाये
चौपालों पर थाप चंग की, सारंगी से मिल कर
उड़ी उमंगो की सरगम से झूम झूम बतियाए
जड़ी उमंगों की चूनर में
रक्तिम आभा गुलमोहर की
और आँच यौवन की लेकर
हैं पलाश वन दहके
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