पाँखुरी पर ओस ने जब से लिखा है नाम तेरा
रंग आ खुद ही संवरते बादलों की कूचियों पर
रंग आ खुद ही संवरते बादलों की कूचियों पर
धुप ने अंगड़ाई लेकर नींद से जब आँख खोली
और देखा झील वाले आईने में बिम्ब अपना
तब छिटकते पाँखुरों से रंग जो देखे धनक के
सोच में थी जाग है या भोर का है शेष सपना
और देखा झील वाले आईने में बिम्ब अपना
तब छिटकते पाँखुरों से रंग जो देखे धनक के
सोच में थी जाग है या भोर का है शेष सपना
नाम की परछाइयाँ जो गिर रही शाखाओं पर जा
मेंहदियों के रंग उससे भर गए है बूटियों पर
मेंहदियों के रंग उससे भर गए है बूटियों पर
बादलों की कूचियों पर से फिसल कर चंद बूँदें
चल पड़ी थी दूब के कालीन पर करने कशीदा
रास्ते में एक तितली के परो पर रुक बताती
वे उसे श्रृंगार कर सजने सजाने का सलीका
चल पड़ी थी दूब के कालीन पर करने कशीदा
रास्ते में एक तितली के परो पर रुक बताती
वे उसे श्रृंगार कर सजने सजाने का सलीका
नाम ने तेरे रंगी है प्रकृति कुछ इस तरह से
सिर्फ तेरा नाम मिलता, मौसमों की सूचियों पर
सिर्फ तेरा नाम मिलता, मौसमों की सूचियों पर
व्योम को कर कैनवस, की रंगपट्टो सी दिशाएं
फ्रेम में जड़ कर क्षितिज के, चित्र कुछ नूतन उकेरे
बादलों की कूचियों पर लग रहा उन्माद छाया
एक तेरा नाम लेकर रंग दिए संध्या सवेरे
फ्रेम में जड़ कर क्षितिज के, चित्र कुछ नूतन उकेरे
बादलों की कूचियों पर लग रहा उन्माद छाया
एक तेरा नाम लेकर रंग दिए संध्या सवेरे
नाम तेरा बह रहा है सरगमों की धार होकर
एकतारा बांसुरी पर, बीन पर, सारंगियों पर
एकतारा बांसुरी पर, बीन पर, सारंगियों पर
1 comment:
अद्भुत - आनंद आ गया
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