जीवन के पथ पर जब जब भी ट्रेफ़िक लगता जाम हो गया
तब तब तुमने अधिकारी बन राहों के अवरोध मिटाये
गर्मी में जब कंस बन गया बिजलीघर का हर इक कर्मी
तुमने तब तब इनवर्टर बन झरे पसीने सभी सुखाये
प्रभुवर तुम दर्शन देते हो, शुक्रवार को चैक रूप में
अर्जी स्वीकारो मेरी तुम वही रूप धर प्रतिदिन आओ
पांव ्तुम्हारे पल पल पूजें, तुम ही इक साकार ब्रह्म हो
महिमा ओ आराध्य हमारे, कौन बखाने किसकी क्षमता
निशा दिवस अनुकूल जहाँ तुम हो कर चलते अन्तर्यामी
वहाँ तुम्हारी कृपा किये है पाँच गुना वेतन से भत्ता
एक वर्ष में चार प्रमोशन मिल जायें लल्लो चप्पो कर
ओ त्रिपुरारी अपनी माया से कुछ ऐसा चक्र चलाओ
जहाँ तुम्हारा अनुग्रह होता वहाँ देवसलिलायें बहतीं
उद्गम हो स्काटलेंड का या पटियाले का बहाव हो
उसकी संध्यायें सजती है वेगासी कैसीनो जैसी
संभव नहीं कभी संचय में उसके थोड़ा भी अभाव हो
करते हैं दिन रात स्तवन हम, ओ रोलेटटेबल के स्वामी
नहीं चाह है निन्निनवें की, बस छत्तीस गुणित करवाओ
2 comments:
haa haa!! Bas Prabhu ki Aane wale baras me aisi kripa baras jaye :) :)
मस्त है , मंगलकामनाएं !! :)
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