सम्भव तो था लिख देता मैं गीत नये नित दस या बारह
प्रश्न उठा लेकिन यह मन में, लिखने से क्या होगा हासिल
अक्षर चार वाहवाही के, और शब्द कुछ " खूब लिखा है "
"अद्भुत है","उपमायें अनूठीं""शिल्प रचा है तुमने सुन्दर"
भावों की कड़ियां गूंथी हैं सुघड़ तरीके से माला में
और शब्द के मोती सारे लाये एक एक चुन चुन कर
किन्तु दूसरे दिन इतिहासों के जो पन्ने खुलें भूल से
उनके बीच कहीं जाकर यह गीत सभी हो लेंगे शामिल
घटनाक्रम जो घटित हुआ वह सहसा कुछ लिखवा देता है
अंगारों में ढले शब्द तब भरते वाणी में हुंकारें
आवाहन, कर्त्तव्य भावना, बलिदानों की बात, चुनौती
याद दिलाई जाती हैं रह रह तलवारों की झंकारें
किन्तु समय के दो दिन खर्चे हो जाने के बाद सभी यह
बातें, एक लाल फ़ीते में बँध हो जातीं दफ़्तर दाखिल
लगते हैं महफ़िल में नित ही गीतोपं के गज़लों के मेले
सब ही के अन्दाज़ अनूठेसब में अलग अलग कुछ बातें
मिलन बाँसुरी, चूड़ी काजल,चन्दन,फूल,वन्दना के स्वर
फ़ागुन का उल्लास, विरह में डूबी हुई सावनी रातें
किन्तु दूसरे दिन की महफ़िल, उतना उन्हें याद रखती है
कर्ज़दार को जैसे रहता, चुकता किया हुआ कोई बिल
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9 comments:
nice
बहुत ख़ुशी हुई की आपने सच सच गीतों में बयान कर दिया... कुछ ऐसे विचार मेरे जेहन में काफी उधम मचा रहे थे, फलतः मैंने ब्लॉग पर रचनाकर्म करना कम कर दिया है और अब सीधे सीधे समाज सेवा से जुड़ रहा हूँ.
अपने प्रदेश और राष्ट्र के विकास में कुछ कर सकूँ, यही सपना है.
मैं आपको पढता रहता हूँ... आपके गीत अनोखे होते हैं.... यकीन कीजिये सर कुछ लोग आपको दिल से चाहते हैं (टिपण्णी नहीं करता मै) मैं इनमे से एक हूँ, आपका प्रशंशक.
-सुलभ
" खूब लिखा है "
"अद्भुत है",
"उपमायें अनूठीं"
"शिल्प रचा है तुमने सुन्दर" :)
अब बिल चुकाने चले आईये - कर्जा चढ़ चुका है. पता तो मालूम ही है :)
मैं भी आपको पढता रहता हूँ... आपके गीत अनोखे होते हैं.... कुछ लोग आपको दिल से चाहते हैं मैं इनमे से भी हूँ - साबित करने के लिए बताइए क्या करना है - आपकी सोच, शब्द और भावों अनंत नमन.
किन्तु गीत ही वो होता है जो आखिर जिंदा रहता है । कालीदास का मेघदूत हो या हो वो तुलसी की मानस
सामवेद हो या फिर गीता, गीत कहां कब मर पाता है
इसीलिये कहता हूं मैं ये लिखते रहिये गीत यूं ही बस
क्योंकि गीत पर संकट है जो उसे ध्यान में भी रखना है
भले घिरा हो अंधियारा पर गीत यूं ही हरदम लिखना है
गीत यूं ही हरदम लिखना है
गीत यूं ही हरदम लिखना है
khatarnaak soch....
kunwar ji,
... And if you don't write "nice" poetry how will Mr. Suman comment "nice":)
Jiyo!!
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