लो परीक्षा चाहे जितनी तुम मेरे विश्वास की प्रिय
है अडिग विश्वास मैं उत्तीर्ण होता ही रहूँगा
अर्चना के दीप की लौ चाहे जितनी थरथराये
पंथ हर पग पर स्वयं ही सैंकड़ो झंझा उगाये
द्रष्टि के आकाश पर केवल उमड़ते हों बगूले
और चारों और केवल चक्र वायु सनासनाये
डगमगा कर राह भटके पंथ में मैं शैल-दृढ़ता
के नये कुछ बीज हर पग संग बोता ही रहूँगा
आस की हर इक कली पर पतझरी आ रोष बिखरे
होंठ की हर प्यास पर जलती हुई दोपहर निखरे
आचमन का नीर बाकी रह न पाए आंजुरी में
मन्त्र अधरों के कँवल छूते हुए दस बार सिहरे
अग्नि नभ से हो बरसती तो उसे आलाव कर के
मैं स्वयं तप कुन्दनों की भाँति होता ही रहूँगा
हो विलय जाएँ हथेली की सभी रेखाएं चाहे
एक पल के भी लिए खुल पायें न हो बंद द्वारे
पर्वतों के श्रंग से लेकर तलहटी सिन्धु की तक
शून्य में डूबी हुई निस्तब्धता सब कुछ सँवारे
मैं प्रफुल्लित अंकुरों की चिर निरंतर साधना ले
प्राण को निष्ठाओं में पल पल पिरोता ही रहूँगा
नाम ले परिवर्तनों का छायें कितने भी कुहासे
संस्कृतियों के शिविर में पल रहें हो अनमना से
पीढियां अक्षम न अपनी रत्नानिधियों को संभालें
ज्योति की किरणें बिछुड़ने सी लगें लगने विभा से
मैं भ्रमित आभास के हर बिम्ब का विध्वंस करके
इक नये विश्वास का संकल्प बोता ही रहूँगा
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6 comments:
बहुत ही भावपूर्ण निशब्द कर देने वाली रचना . गहरे भाव.
एक और खूबसूरत पेशकश ..बढ़िया लाज़वाब....धन्यवाद राकेश जी
मैं भ्रमित आभास के हर बिम्ब का विध्वंस करके
इक नये विश्वास का संकल्प बोता ही रहूँगा
वाह राकेश भाई वाह। कमाल के भाव हैं।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
bahut khoobsoorat geet Rakesh ji...
अच्छी विवेचना को ब्लॉग पर सुन्दर ढंग से प्रस्तुत करने के लिए धन्यवाद / सार्थकता से भरी विचारोत्तेजक कविता के लिए भी धन्यवाद / ऐसे ही प्रस्तुती और सोच से ब्लॉग की सार्थकता बढ़ेगी / आशा है आप भविष्य में भी ब्लॉग की सार्थकता को बढाकर,उसे एक सशक्त सामानांतर मिडिया के रूप में स्थापित करने में,अपना बहुमूल्य व सक्रिय योगदान देते रहेंगे / आप देश हित में हमारे ब्लॉग के इस पोस्ट http://honestyprojectrealdemocracy.blogspot.com/2010/04/blog-post_16.html पर पधारकर १०० शब्दों में अपना बहुमूल्य विचार भी जरूर व्यक्त करें / विचार और टिप्पणियां ही ब्लॉग की ताकत है / हमने उम्दा विचारों को सम्मानित करने की व्यवस्था भी कर रखा है / इस हफ्ते उम्दा विचार के लिए अजित गुप्ता जी सम्मानित की गयी हैं /
मैं भ्रमित आभास के हर बिम्ब का विध्वंस करके
इक नये विश्वास का संकल्प बोता ही रहूँगा
Awesome !
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