कौन से सन्दर्भ की मैं आरती बोलो उतारूँ
कौन सी प्रतिमा पिरोकर शब्द में अपने पुकारूँ
कौन सा झोंका हवा का शब्द में अपने पिरोऊँ
तूलिका में रंग भर कर चित्र मैं किसके संवारूँ
हिचकिचाता नाम कोई चढ़ नहीं पाता अधर पर
नाम किसका है ? यही मैं जान पाना चाहता हूँ
उठ रही है लहर नदिया की किसे छूकर न जाने
लग रही पुरबाईयाँ जा द्वार अब किसका सजाने
देह के किसके परस से पुष्प सुरभित हो रहे हैं
ले रही है छांह किसकी बादलों के संग उड़ानें
एक पल लगता मुझे मैं हूँ नहीं उससे अपरिचित
किन्ब्तु परिचय क्या ? यही पहचान पाना चाहता हूँ
कर रहीं हैं बात किसकी पत्तियाँ ये सरसराती
गीत किसके कोयलें गा, बुलबुलों को सुनाती
है पिरोता कौन ला मुस्कान कलियों के अधर पर
दॄष्टि है किसकी, परस से रात को जो दिन बनाती
है पुराना पॄष्ठ कोई एक बीती डायरी का
कौन सा लेकिन बरस था, भान पाना चाहता हूँ
बन गई है जो गज़ल में प्रीत की सहसा रवानी
लिख गई है भोजपत्रों पर स्वयं जिसकी कहानी
भित्तिचित्रों में ढले जो रंग तो संवरी अजन्ता
नाम जिसका छू सुबासित हो रही है रातरानी
जानता हूँ हर गज़ल में गीत में वह ही समाहित
मैं उसी से गीत का उनवान पाना चाहता हूँ
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नव वर्ष २०२४
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4 comments:
:)
"कौन सा झोंका हवा का शब्द में अपने पिरोऊँ"
"उठ रही है लहर नदिया की किसे छूकर न जाने"
"ले रही है छांह किसकी बादलों के संग उड़ानें"
"एक पल लगता मुझे मैं हूँ नहीं उससे अपरिचित
किन्ब्तु परिचय क्या ? यही पहचान पाना चाहता हूँ"
"कर रहीं हैं बात किसकी पत्तियाँ ये सरसराती"
"दॄष्टि है किसकी, परस से रात को जो दिन बनाती"
"है पुराना पॄष्ठ कोई एक बीती डायरी का
कौन सा लेकिन बरस था, भान पाना चाहता हूँ"
"मैं उसी से गीत का उनवान पाना चाहता हूँ"
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!!!!!!!
है पुराना पॄष्ठ कोई एक बीती डायरी का
कौन सा लेकिन बरस था, भान पाना चाहता हूँ
aapkaa dhanyavaad aapki kavita mujhe apne saath baha kar le jaate hai.
regards
khyaal
जानता हूँ हर गज़ल में गीत में वह ही समाहित
मैं उसी से गीत का उनवान पाना चाहता हूँ
बहुत खूब कहा आपका लिखा दिल को छू जाता है
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