चाहता हूँ आज हर इक शब्द को मैं भूल जाऊँ
चाहता हूँ लेखनी को उंगलियों से दूर कर दूँ
आज तक मैं इक अजाने पंथ पर चलता रहा हूँ
और हर इक शब्द को सांचा बना ढलता रहा हूँ
आईने का बिम्ब लेकिन आज मुझसे कह गया है
व्यर्थ अब तक मैं स्वयं को आप ही छलता रहा हूँ
सांझ के जिन दर्पणों में रंग लाली ने संवारे
सोचता हूँ आज उनमें रात का मैं रंग भर दूँ
निश्चयों के वॄक्ष उगती भोर के संग संग उगाये
और मरुथल की उमड़ती लहर के घेरे बनाये
ओढ़ कर झंझा खड़े हर इक मरुत का हाथ थामा
मेघ के गर्जन स्वरों में जलतरंगों से बसाये
किन्तु केवल शोर का आभास बन कर रह गया सब
सोचता सब कुछ उठा कर ताक पर मैं आज धर दूँ
कब तलक लिखता रहूँ कठपुतलियों की मैं कहानी
बालपन भूखा, कसकती पीर में सुलगी जवानी
कब तलक उंगली उठाऊँ शासकों के आचरण पर
कब तलक सोचूँ बनेगी एक दिन ये रुत सुहानी
कल्पना के चित्र धुंधले हो गये अब कल्पना में
इसलिये संभव नहीं है स्वप्न को भी कोई घर दूँ
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11 comments:
शब्दों के, और उन शब्दों से मन के भाव प्रकट करने में आप का सानी नही. शब्दों के जादूगर हैं आप. भाव, विचार तो बदलते रहर हैं मन की स्तिथि का अनुरूप ,,,, लेकिन शब्द और संरचना ..... वाह ! जब जब आप को पढता हूँ बहुत कुछ सीखने को मिलता है .... .प्रणाम आप को.
अरे आपने यह क्या रच दिया ! उडनतश्तरी जी की उंगलिया से लेखनी अलग ही हो गयी। लेकिन एक बात समझ मेa नहीं आयी। आपके पोस्ट के पहले ही उन्होने पोस्ट किया , फिर आपकी लिखी पंक्तियां उन्हॅने कैसे लिखी ?
किन्तु केवल शोर का आभास बन कर रह गया सब
सोचता सब कुछ उठा कर ताक पर मैं आज धर दूँ
लिखा तो हमेशा सा अच्छा है ..पर बहुत कुछ दिल में झंझोर के रख गई आपकी यह रचना ..
थकन से उपजी हताशा का मर्मस्पर्शी चित्रण। परन्तु आशा करता हूं कि यह निराशा आपका स्थायी भाव नहीं बन पायेगी।
आपकी रचना तो हमेशा ही अच्छी होती है।
ओह आज के दिन ये तीसरी ऐसी पोस्ट है। :(
Vah saheb, chitran ho to aisa.
आज तक मैं इक अजाने पंथ पर चलता रहा हूँ
और हर इक शब्द को सांचा बना ढलता रहा हूँ
आईने का बिम्ब लेकिन आज मुझसे कह गया है
व्यर्थ अब तक मैं स्वयं को आप ही छलता रहा हूँ
बहुत अच्छे . बधाई
sundar rachna ke liye aabhaar..aapka
बहुत ही सुंदर भावपूर्ण प्रवाहमयी रचना,मन को छूकर झकझोरती हुई.बहुत बहुत सुंदर.
Bahut khub.
nirasha ke swar aapki lekhni ke painepan se aur dil ko kareeb se choo rahe hain..
achchi lagi aapki ye rachna
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