उत्तर सारे मौन रह गये

उत्तर सारे मौन रह गये हैं प्रश्नो के इन्तज़ार में
तुमने पूछा नहीं अभी तक कितना प्यार तुम्हें करता हूँ

शब्द प्यार की गहराई को बतला पायें क्या है संभव
मन के बन्धन होठों पर आ जायें ये होता है कब कब
सौ सौ साखी लिख कर भी जो व्यक्त कबीरा कर न पाया
मीरा के इकतारे ने ये भेद और ज्यादा उलझाया

मेरी कोशिश उन भावों को अपने, मीत, तुम्हें समझाऊं
इसीलिये तो लिये प्रतीक्षा प्रश्नों की तुमको तकता हूँ

मज़दूरी से जितना करतीं किसी श्रमिक की सुदॄढ़ बांहें
कुंकुम से करतीं दुल्हन की स्वप्न सजाती हुई निगाहें
प्यासी धरती जितना करती सावन के पहले बादल से
पोर उंगलियों के करते हैं असमंजस में जो आंचल से

आशान्वित हूँ तुम पढ़ लोगे नयनों में जो लिखी इबारत
जिसके अक्षर अक्षर में मैं तुमको ही चित्रित करता हूँ

जितना प्यार गज़ल से करता, विरह-पीर से हो स्वर घायल
जितना थाप करे तबले से, करे नॄत्य से जितना पायल
सागर करता, शंख सीपियां अपने ह्रदय सजा कर जितना
मंदिर करे आरती से ज्यों, करे नैन से जितना काजल

बन्धन तोड़ सभी संकोची,तुम्हें आज मैं बता सकूंगा
नित्य भोर की प्रथम किरण के सँग संकल्प किया करता हूँ

7 comments:

पारुल "पुखराज" said...

"पोर उंगलियों के करते हैं असमंजस में जो आंचल से"

कितनी कोमल बात्……सुंदर

नीरज गोस्वामी said...

जितना थाप करे तबले से, करे नॄत्य से जितना पायल
राकेश जी
वाह वाह...करता थक जाऊँ तो भी वो बात नहीं आ पायेगी जो दिल में उठ रही है...अद्भुत शब्द कोमल भाव विलक्षण रचना...मेरा नमन है आप को...
नीरज

अमिताभ मीत said...

बन्धन तोड़ सभी संकोची,तुम्हें आज मैं बता सकूंगा
नित्य भोर की प्रथम किरण के सँग संकल्प किया करता हूँ

आह !

कंचन सिंह चौहान said...

मज़दूरी से जितना करतीं किसी श्रमिक की सुदॄढ़ बांहें
कुंकुम से करतीं दुल्हन की स्वप्न सजाती हुई निगाहें
प्यासी धरती जितना करती सावन के पहले बादल से
पोर उंगलियों के करते हैं असमंजस में जो आंचल से

आशान्वित हूँ तुम पढ़ लोगे नयनों में जो लिखी इबारत
जिसके अक्षर अक्षर में मैं तुमको ही चित्रित करता हूँ

bahut sundar

Anonymous said...

Rakesh ji..

Blog dekh kar hui prasannta
nai sabhi rachna dekhungi
Bhav kalpna ki phulwaari
geet kamal khilta dekhungi
Surabhi aur sandarya sabhi to
milte hai is Geet- Kalash main
Khush hun sudhi-kavita-premi ki
trisha yahan bujhte dekhungi.

regards
shailja Saksena

Shar said...

अत्यंत सुन्दर और शक्तिशाली रचना ।
"उत्तर सारे मौन रह गये हैं प्रश्नो के इन्तज़ार में
तुमने पूछा नहीं अभी तक कितना प्यार तुम्हें करता हूँ"

उमा-शंकर की जोडी सलामत रहे :)

Gaurav Tripathi said...

bahut sundar rachna rakeshji

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