हर दिवस हो नये गीत सा छंदमय, सांझ बन कर गज़ल की रवानी रहे
रात डूबी हुई प्रीत की गंध में चांदनी की नई इक कहानी कहे
बात निशिगंध से मिल चमेली करे, औ’ भरे मोगरा बाँह कचनार को
ऐसी छवियों से सज कर उमगती हुई, इस नये वर्ष की ॠतु सुहानी रहे
मुट्ठियों में संवरने लगे आपकी, आपकी कल्पनाओं का विस्तार सब
स्वप्न हर, भोर में प्रश्न करने लगे, नैन में से निकल शिल्प होना है कब ?
इस नये वर्ष में जितने आयाम हैं सब सिमटते रहें आपके द्वार पर
कामना के सुमन की भरी आंजुरि, आपके पगकमल पे चढ़ाता हूँ अब
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नव वर्ष २०२४
नववर्ष 2024 दो हज़ार चौबीस वर्ष की नई भोर का स्वागत करने खोल रही है निशा खिड़कियाँ प्राची की अब धीरे धीरे अगवानी का थाल सजाकर चंदन डीप जला...
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प्यार के गीतों को सोच रहा हूँ आख़िर कब तक लिखूँ प्यार के इन गीतों को ये गुलाब चंपा और जूही, बेला गेंदा सब मुरझाये कचनारों के फूलों पर भी च...
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जाते जाते सितम्बर ने ठिठक कर पीछे मुड़ कर देखा और हौले से मुस्कुराया. मेरी दृष्टि में घुले हुये प्रश्नों को देख कर वह फिर से मुस्कुरा दिया ...
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9 comments:
आपको भी नव वर्ष की शुभकामनाएँ
नव-वर्ष की हार्दिक शुभकामनाए।
आप सब का जीवन खुशियो से भर जाए।
आपको भी…नव-वर्ष मंगलमय हो
नव वर्ष शुभ हो मंगलमय हो
आपकी रचना के अनुरूप हो आपका नया साल ऐसी शुभकामना है
बात निशिगंध से मिल चमेली करे, औ’ भरे मोगरा बाँह कचनार को
राकेश भाई कहाँ से खोज लाते हैं ऐसे जादुई शब्द. नव वर्ष पर इतने सुंदर शब्दों में शुभकामना आप ने दी है की मन तृप्त हो गया. आप को भी नव वर्ष की शुभकामनाएं. इश्वर से प्रार्थना है की हमेशा ऐसे ही शब्दों से फूल खिलते रहें और पाठकों को सुवासित करते रहें.
नीरज
आप और आपके परिवार को नव-वर्ष की ढेरों सारी शुभकामना,और बधाई.
Hindi Sagar
आपको भी नववर्ष की शुभकामनाएँ ।
घुघूती बासूती
नव वर्ष की शुभकामनाए
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