हो नये वर्ष में आपका हर दिवस, गुरुकुलों के सहज आचरण की तरह
यज्ञ में होम करते हुए मंत्र से जुड़ रहे शुद्ध अंत:करण की तरह
पॄष्ठ पर जीवनी के लिखें आपके,सूर्य की रश्मियाम जो सुनहरी कथा
शब्द उसका हो हर इक नपा औ' तुला, एक सुलझे हुए व्याकरण की तरह
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प्रीत में नहाती हुई, गीत गुनगुनाती हुई
रात के सिरहाने जो है चाँदनी की पालकी
फागुनी उमंग जैसी, सावनी अनंग जैसी
बिन्दिया सी एक दुल्हनिया के भाल की
कंगनों की खनक लिये, घुंघरुओं की छनक लिये
रागिनी सी पैंजनी के सुर और ताल की
आपकी गली में रहे, खुश्बुओं में ढली बही
मीठी स्मॄति साथ लिये, बीत गये साल की
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आशाओं के ओसकणों से भोर सदा भरती हो
स्वर्णमयी हर निमिष आपके पांव तले धरती हो
कचनारों की कलियां बूटे रँगें आन देहरी पर
नये वर्ष में सांझ आप पर सुधा बनी झरती हो
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नव वर्ष २०२४
नववर्ष 2024 दो हज़ार चौबीस वर्ष की नई भोर का स्वागत करने खोल रही है निशा खिड़कियाँ प्राची की अब धीरे धीरे अगवानी का थाल सजाकर चंदन डीप जला...
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