ओ पिया ओ पिया

जाने किसके बदन की उड़ी गंध को
पीके झोंका हवा का मचलता हुआ
मेरे सीने से आकर लिपतते हुए
कह रहा, ओ पिया! ओ पिया ! ओ पिया

ताल के मध्य में एक जलकुंड से
सूर्य के बिम्ब की रश्मियां थाम कर
छांह से पत्तियों की फ़िसलते हुए
लिख रहा नाम अपना मेरे नाम पर
उंगलियों से हथेली की रेखाओं में
जाने क्या ढूँढ़, महसूस करता हुआ
इक सुहाना मधुर पल ज्यों अहसास का
अधखुली मुट्ठियों में जकड़ता हुआ

फूल की पांखुरी की किनारी पकड़
पत्र पर बादलों के लगा लिख दिया
ओ पिया, ओ पिया, ओ पिया, ओ पिया

वादियों में शिखर से उतरता हुआ
भोर की घंटियों से उठा जाग के
और पगडंडियों के किनारे खड़ी
दूब को देता संदेश अनुराग के
मलयजी ओढ़नी को लपेटे हुए
ढल रही सांझ जैसा लजाता हुआ
कोयलों के सुरों की पिरो रागिनी
कंठ में अपने, वंशी बजाता हुआ

कसमसाती हुई एक अँगड़ाई सा
बन के पारा मचलता हुआ बह दिया
ओ पिया, ओ पिया, ओ पिया, ओ पिया

स्वप्न की वीथियों में टपकती हुई
चाँदनी में भिगो पांव धरता हुआ
ओस के पद सी कोमल लिये भावना
मुझको छूते हुए कुछ सिहरता हुआ
गुनगुनाते हुए एक संदेस को
साज की तंत्रियों में पिरोये हुए
वेणियों में संवरते हुए पुष्प की
गंध को, अंक अपने समेटे हुए

भोर के द्वार पर देके आवाज़ फिर
नाम रांगोलियों में रँगा, रख दिया
ओ पिया, ओ पिया, ओ पिया, ओ पिया

4 comments:

Mohinder56 said...

वाह वाह

लिख रहा नाम अपना मेरे नाम पर
उंगलियों से हथेली की रेखाओं में
जाने क्या ढूँढ़, महसूस करता हुआ
इक सुहाना मधुर पल ज्यों अहसास का
अधखुली मुट्ठियों में जकड़ता हुआ
स्वप्न की वीथियों में टपकती हुई
चाँदनी में भिगो पांव धरता हुआ
वेणियों में संवरते हुए पुष्प की
गंध को, अंक अपने समेटे हुए

भोर के द्वार पर देके आवाज़ फिर
नाम रांगोलियों में रँगा, रख दिया
ओ पिया, ओ पिया, ओ पिया, ओ पिया

बहुत सुन्दर भाव भरी पंक्तियों से सज्जित यह कविता

सुनीता शानू said...

आज तो heading o piya o piya...पढ़कर चौंक गई लगा कोई english कविता या गीत है...मगर फ़िर पढ़ा आप तो हर रस में लिख सकते है..बहुत ही सुन्दर...

सुनीता(शानू)

Udan Tashtari said...

हम तो समझे कि किसी फिल्म के लिये गाना लिखें हैं. बहुत खूब, मजा आ गया.

Shar said...

इस गीत के बाद कोई क्या गीत रचे, कोई क्या गीत सुने !
"Out of this World" को हिन्दी में क्या कहते हैं ?

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