वे सारे सन्देश जिन्हें तुम लिख न सके
व्यस्तताओं में
आज महकती पुरबाई ने वे सब मुझको सुना दिए हैं
आज महकती पुरबाई ने वे सब मुझको सुना दिए हैं
मुझे विदित है मन के आँगन में होती
भावो की हलचल
और चाहना होगी लिख दो मुझको अपने मन की बाते
लेकिन उलझे हुए समय की पल पल पर बढ़ती मांगो में
जाता होगा दिन चुटकी म बीती होंगी पल में रातें
और चाहना होगी लिख दो मुझको अपने मन की बाते
लेकिन उलझे हुए समय की पल पल पर बढ़ती मांगो में
जाता होगा दिन चुटकी म बीती होंगी पल में रातें
उगती हुई भोर की किरणों ने पाखी के पर
रंग करके
वे सारे सन्देश स्वर्ण में लिख कर जैसे सजा दिए हैं
वे सारे सन्देश स्वर्ण में लिख कर जैसे सजा दिए हैं
शब्द कहाँ आवश्यक होते मन की बातें
बतलाने को
औरकहाँ सरगम के सुर भी व्यक्त कर सके इन्हें कदाचित
लेकिन नयनों की चितवन जब होती है आतुर कहने को
निमिष मात्र में हो जाते हैं अनगिन महाग्रंथ संप्रेषित
औरकहाँ सरगम के सुर भी व्यक्त कर सके इन्हें कदाचित
लेकिन नयनों की चितवन जब होती है आतुर कहने को
निमिष मात्र में हो जाते हैं अनगिन महाग्रंथ संप्रेषित
बोझिल पलकों से छितराती हुई सांझ सी सुरमाई ने
नभ के कैनवास को रंग
कर वे सब मुझकोदिखा दिए है
वैसे ही सन्देश लिखे थे जो रति ने
अनंग को इक दिन
और शची ने जिनसे सुरभित करी पुरंदर की अंगनाई
दमयंती के और लवंगी के नल जगन्नाथ तक पहुंचे
जिनसे बाजीराव पेशवा के मन में गूंजी शहनाई
और शची ने जिनसे सुरभित करी पुरंदर की अंगनाई
दमयंती के और लवंगी के नल जगन्नाथ तक पहुंचे
जिनसे बाजीराव पेशवा के मन में गूंजी शहनाई
कलासाधिके!
आज हिना के और अलक्तक के रंगों ने
अनचीन्हे सन्देश सभी वे चित्रित कर के
बता दिए हैं
1 comment:
मुझे विदित है मन के आँगन में होती भावो की हलचल
और चाहना होगी लिख दो मुझको अपने मन की बाते
लेकिन उलझे हुए समय की पल पल पर बढ़ती मांगो में
जाता होगा दिन चुटकी म बीती होंगी पल में रातें
-जबरदस्त...वाह...आह!!
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