आज सुबह मेट्रो में मैंने जितने भी सहयात्री देखे
सबकी नजरें थमी हाथ में इक डिवाइस पर टिकी हुई थी
सबकी नजरें थमी हाथ में इक डिवाइस पर टिकी हुई थी
लगा सोचने कहा गए पल जब नजरों से नजरे मिलती
दो अजनबियों की राहो में परिचय की नव कलियाँ खिलती
उद्गम से गंतव्यों की थी दूरी तय होती लम्हों में
जमी हुई अनजानेपन की जब सहसा ही बर्फ पिघलती
दो अजनबियों की राहो में परिचय की नव कलियाँ खिलती
उद्गम से गंतव्यों की थी दूरी तय होती लम्हों में
जमी हुई अनजानेपन की जब सहसा ही बर्फ पिघलती
कल के बीते हुए दिवस की यादें फिर फिर लौट रही है
जब कि किताबों के पन्नों में सूखी कलियाँ धरी हुई थीं
जब कि किताबों के पन्नों में सूखी कलियाँ धरी हुई थीं
न ही कोई अखबारों के पन्ने यहाँ बाँट कर पढ़ता
न ही कोई लिये हाथ में अब पुस्तक के पृष्ठ पलटता
न ही शब्द हलो के उड़ते ना मुस्कान छुये अधरों को
बस अपने ही खिंचे दायरे में हर कोई सिमटा रहता
न ही कोई लिये हाथ में अब पुस्तक के पृष्ठ पलटता
न ही शब्द हलो के उड़ते ना मुस्कान छुये अधरों को
बस अपने ही खिंचे दायरे में हर कोई सिमटा रहता
नई सभ्यता की आंधी में उड़े सभी सामाजिक र्रिश्ते
सम्प्रेषण की संचारों की जिन पर नीवें रखी हुई थीं
सम्प्रेषण की संचारों की जिन पर नीवें रखी हुई थीं
चक्रव्यूह ने ट्विटर फेसबुक व्हाट्सऐप के उलझाया है
पूरी गठरी खो कर लगता बस आधी चुटकी पाया है
भूल गए सब कैसे सँवरे शब्द प्यार के अधरों पर आ
सिर्फ उंगलियों की थिरकन ने तन को मन को भरमाया है
पूरी गठरी खो कर लगता बस आधी चुटकी पाया है
भूल गए सब कैसे सँवरे शब्द प्यार के अधरों पर आ
सिर्फ उंगलियों की थिरकन ने तन को मन को भरमाया है
चलो ठीक है झुके शीश अब परछाई तो देख सकेंगे
कल तक जिनकी दृष्टि फुनगियों पर ही जाकर टँकी हुई थी
कल तक जिनकी दृष्टि फुनगियों पर ही जाकर टँकी हुई थी
2 comments:
यही हालात है -सारा जहाँ हथेली में सिमट कर रह गया है और सामने क्या हो रहा है इसकी ख़बर नहीं.
सामने वाला पड़ोसी जब ट्विटर करता है house in the front is on fire तब मालूम पड़ता है की अपने घर में आग लगी है 😄
Badla jamana chiththi ptri ka.kya aana
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