जानते पाषाण में भी प्राण हो जाते प्रतिष्ठित
सांस ले विश्वास की जब आस्था की ज्योति जागे
सांस ले विश्वास की जब आस्था की ज्योति जागे
जब मचल लोबान की खुशबू लहरती है हवा में
तब मजारों की चिरंतन नींद खुल जाती अचानक
चादरों के छोर पर अंगड़ाई ले रंगीन धागे
शब्द में अंकित किये हैं एक श्रद्धा का कथानक
तब मजारों की चिरंतन नींद खुल जाती अचानक
चादरों के छोर पर अंगड़ाई ले रंगीन धागे
शब्द में अंकित किये हैं एक श्रद्धा का कथानक
गहन अंधियारी गुफाओं में ह्रदय की दीप बनकर
निर्झरों में ढल गए विश्वास के सारे सहारे
निर्झरों में ढल गए विश्वास के सारे सहारे
है हमारी संस्कृति का साक्षी इतिहास कहता
पाँव की रज छु यहाँ पाषाण को भी प्राण मिलते
हो गई जीवंत निष्ठा साथ पा विश्वास का जब
उस घड़ी पाषाण स्तंभों से स्वयं ईश्वर निकलते
पाँव की रज छु यहाँ पाषाण को भी प्राण मिलते
हो गई जीवंत निष्ठा साथ पा विश्वास का जब
उस घड़ी पाषाण स्तंभों से स्वयं ईश्वर निकलते
हो अगर संचेतना का केंद्र इक ही माध्यम तब
बाँध लाते तारको को सूत के कमजोर धागे
बाँध लाते तारको को सूत के कमजोर धागे
मान्यता का सूर्य चीरे गहनतम तम के कुहासे
शैलखंडों में नदी के जाग जाती चेतनाएं
प्राण तो पाषाण। की हर मूर्ती में होते पुजारी
जागते संकल्प कृत जब शीश को अपने झुकाएं
शैलखंडों में नदी के जाग जाती चेतनाएं
प्राण तो पाषाण। की हर मूर्ती में होते पुजारी
जागते संकल्प कृत जब शीश को अपने झुकाएं
रुक गयी गति भी निरन्तर चल रहे रथ की समय के
आस्थामय जब ह्रदय संकल्पकृत हो मूल्य मांगे
आस्थामय जब ह्रदय संकल्पकृत हो मूल्य मांगे
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