जय जयति जय माँ शारदा जय जयति वीणापारिणी
भाषा स्वरा जय अक्षरा ,जय श्वेत शतदल वासिनी
जय मंत्र रूपा, वेद रूपा जयति स्वर व्यवहारिणी
माँ पुस्तिका, माँ कंठ स्वर,मां रागमय सुर रागिनी
वन्दे अनादि शक्ति पूंजा, ज्ञान अक्षय निधि नमो
स्वाहा स्वधा मणि मुक्त माला रूपिणी चितिसत नमो
मानस कमल की चेतना, कात्यायनी शक्ति नमो
हे धवल वसना श्वेत रूपा प्राण की प्रतिनिधि नमो
इंगित तेरा संचार प्राणों का सकल जग में करे
तेरे अधर की एक स्मित हर मेघ संकट का हरे
तेरे वरद आशीष का कर छत्र जिसके सर तने
भवसिन्धु की गहराइयां वह पार पल भर में करे
सुर पूजिता, देव स्तुता, हे यज्ञ की देवी नमो
हे सर्जना , हे चेतना हे भावना तत्सम नमो
हे शेषवर्णित नित अशेषा, आदि की जननीनमो
हे कल्पना की, साधना की प्रेरणा नित नित नमो
2 comments:
माँ शारदे नमः
अतिसुन्दर गुरूजी! सादर प्रणाम, आपको और माँ शारदा , दोनों को!
आज गुरुपूर्णिमा है :)
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