नाम है आपका

भोर में शब्द ने पंछियों के स्वरों में
कहा गूँज कर नाम है आपका
शाख ने बात करते हुए डूब से
मुस्कुराकर कहा नाम है आपका
शांत सोई हुई झील के होंठ पर
आके ठहरी हुई फूल की पंखरी
यों लगा दर्पणों ने लिखा वक्ष पर
बिम्ब बन कर स्वयं नाम है आपका

पेड़ की पत्तियों से छनी धूप ने
छाँह पर नाम लिख रख दिया आपका
थाल पूजा का चूमा खिली धूप ने,
ज्योति बो नाम को कर दिया आपका
धूप ने बात करते हुये बूँद से,
आपके नाम को इन्द्तधनुषी किया
सांझ को धूप ने घर को जाते हुये,
रंग गालों पे ले रख लिया आपका.

3 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

कोमल रंगों का छिड़काव।

Udan Tashtari said...

वाह..सब कमाल..नाम है आपका...


बहुत उम्दा...

Shardula said...

अति सुन्दर!
शांत सोई हुई झील के होंठ पर
आके ठहरी हुई फूल की पंखरी -- वाह!

थाल पूजा का चूमा खिली धूप ने,--- बहुत ही सुन्दर!
ज्योति बो नाम को कर दिया आपका
धूप ने बात करते हुये बूँद से, -- कितनी सुन्दर कल्पना है!
आपके नाम को इन्द्तधनुषी किया
सांझ को धूप ने घर को जाते हुये, -- सुन्दर!
रंग गालों पे ले रख लिया आपका.

एक बात कहें , यहाँ डूब को दूब और इन्द्रधनुष को ठीक करने कौन आयेगा! ...सादर शार्दुला

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