तुमने जो सम्बोधन देकर मुझे पुकारा खंजननयनने
बस उस के ही सन्दर्भों में, मैं हूँ उलझा हुआ अभी तक
फ़िसला हुआ अधर की कोरों से, चढ़ कर स्वर की लहरी पर
थाम हवाओं के झोंके की उंगलियाँ जो मुझ तक आया
मन में उमड़ रहे भावों की ओढ़े रंग भरी दोशाला
जिसे सांझ की परछाईं ने काजल करके नयन सजाया
वह इक शब्द कान के मेरे दरवाजे पर दस्तक देकर
जो कह गया उसी के क्रम में, मैं हूँ उलझा हुआ अभी तक
मध्यम से पंचम तक होती आरोहित जब जब भी सरगम
तब तब उसमें लिपटे सिमटे स्वर के अर्थ भिन्न हो जाते
कुसुमित मौसम की गागर से झरते हैं पांखुर से पल जब
तब मन की देहलीज बना कर नई अल्पनायें रँग जाते
नयनों की प्रत्यंचा खींचे, तुमने जो स्वर संधाने हैं
उनके पुष्पित शर की सीमा में, मैं उलझा हुआ अभी तक
सम्बोधन के शब्दों से ले कर अपने प्रतिबिम्बों तक में
सामंजस्यों के धागों की कड़ियाँ लेकर जोड़ रहा हूँ
जो अक्सर भ्रम दे जाते हैं, कुछ अस्पष्ट स्वरों के खाके
उनके कुहसाये चित्रों में , मैं परिभाषा जोड़ रहा हूँ
सपनों के गलियारे से चल आती हैं जो दोपहरी तक
सम्बोधन ले उन घड़ियों में, मैं हूँ उलझा हुआ अभी तक
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10 comments:
सपनों के गलियारे से चल आती हैं जो दोपहरी तक
सम्बोधन ले उन घड़ियों में, मैं हूँ उलझा हुआ अभी तक.nice
ह इक शब्द कान के मेरे दरवाजे पर दस्तक देकर
जो कह गया उसी के क्रम में, मैं हूँ उलझा हुआ अभी तक
-अद्भुत गीत!! वाह! पढ़कर निहार रहा हूँ अभी तक!!
वह इक शब्द कान के मेरे दरवाजे पर दस्तक देकर
जो कह गया उसी के क्रम में, मैं हूँ उलझा हुआ अभी तक..
बहुत खूब...इसी उलझन ने एक खूबसूरत गीत को जन्म दिया...सुन्दर रचना..बधाई!!!
वह इक शब्द कान के मेरे दरवाजे पर दस्तक देकर
जो कह गया उसी के क्रम में, मैं हूँ उलझा हुआ अभी तक..
बहुत खूब...इसी उलझन ने एक खूबसूरत गीत को जन्म दिया...सुन्दर रचना..बधाई!!!
ह इक शब्द कान के मेरे दरवाजे पर दस्तक देकर
जो कह गया उसी के क्रम में, मैं हूँ उलझा हुआ अभी तक
बहुत सुन्दर रचना बधाई
कोमल श्रृंगार रस की इतनी सौम्य शिष्ट अभिव्यक्ति ...अद्भुद है....
आपके रचनाओं पर क्या टिपण्णी करूँ...इन्हें तो बस मुग्ध भाव से पढ़ नमन कर लेती हूँ...
जो अक्सर भ्रम दे जाते हैं, कुछ अस्पष्ट स्वरों के खाके
उनके कुहसाये चित्रों में , मैं परिभाषा जोड़ रहा हूँ
अद्भुत, सम्पूर्ण. सही मायनों मे जीवन दर्शन की झांकी समेटे आनन्दित करता हुआ एक गीत.
बधाई.
भारतीयम http://bhaarateeyam.blogspot.com
अनुपम!!
हृदय को आनंद और कौतूहल से भरने वाली रचना !
बहुत ही नाज़कत और नफ़ासत भरी !
...अब खुलासा भी करेंगे या यूँ ही हम सब अटकलें लगायें :)
21Feb10
वाह!अद्भुत!!!
बहुत ही सुंदर कविता.
भावों की सुंदर अभिव्यक्ति.
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