गीत तुम संगीत हो तुम

कंठ का स्वर, शब्द होठों के मिले बस एक तुमसे
चेतना को दे रही चिति एक अभिनव प्रीत हो तुम

जो तपस्या के पलों में चित्र बनते हो वही तुम
नाम तुम जपते जिसे मालाओं के मनके निरन्तर
यज्ञ की हर आहुति को पूर्णता देती तुम ही हो
पांव प्रक्षालित तुम्हारे कर रहे सातों समन्दर

लेखनी तुम और तुम मसि,हम निमित बस नाम के हैं
सिर्फ़ इक तुम ही कवि हो और सँवरा गीत हो तुम

राग के आरोह में, अवरोह में औ’ रागिनी में
स्वर निखरते बीन की झंकार की उंगली पकड़ कर
तार पर बिखरा हुआ स्वर एक तुम हो स्वररचयिते
हर लहर उमड़ी सुरों की एक तुम ही से उपज कर

साज की आवाज़ तुम ही, तार का कम्पन तुम्हीं हो
पूर्ण जग को बाँधता लय से वही संगीत हो तुम

हो कली की सुगबुगाहट याकि गूँजा नाद पहला
शब्द को रचती हुई तुम ही बनी हर एक भाषा
बस तुम्ही अनूभूति हो,अभिव्यक्ति भी तुम ही सदाशय
भाव भी तुम,भावना तुम,प्राण की तुम एक आशा

तुम रचेता अक्षरों की,वाक तुम,स्वर तुम स्वधा तुम
प्राण दे्ती ज़िन्दगी को वह अलौकिक रीत हो तुम


11 comments:

सुनीता शानू said...

बहुत सुन्दर गीत! जिसे गुनगुनाने को भी दिल करे,
हो कली की सुगबुगाहट याकि गूँजा नाद पहला
शब्द को रचती हुई तुम ही बनी हर एक भाषा
बस तुम्ही अनूभूति हो,अभिव्यक्ति भी तुम ही सदाशय
भाव भी तुम,भावना तुम,प्राण की तुम एक आशा
सादर नमन
सुनीता

Udan Tashtari said...

लेखनी तुम और तुम मसि,हम निमित बस नाम के हैं
सिर्फ़ इक तुम ही कवि हो और सँवरा गीत हो तुम


--अद्भुत--बारं बार एक ही बात - अद्भुत!!


दिन बन गया!! आभार.

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

पूर्ण जग को बाँधता लय से वही संगीत हो तुम

राकेश भाई,
नमस्ते ,
कुछ पिछली प्रविष्टीयोँ पर
टीप्पणी न कर पाई -
sorry ...
परँतु आप लिख्ते रहेँ
इसी भाँति
माँ सरस्वती की वँदना मेँ
गीत भी रचते रहेँ ~~~
स स्नेह,
- लावण्या

MANVINDER BHIMBER said...

हो कली की सुगबुगाहट याकि गूँजा नाद पहला
शब्द को रचती हुई तुम ही बनी हर एक भाषा
बस तुम्ही अनूभूति हो,अभिव्यक्ति भी तुम ही सदाशय
भाव भी तुम,भावना तुम,प्राण की तुम एक आशा
अद्भुत!!

रंजू भाटिया said...

राग के आरोह में, अवरोह में औ’ रागिनी में
स्वर निखरते बीन की झंकार की उंगली पकड़ कर
तार पर बिखरा हुआ स्वर एक तुम हो स्वररचयिते
हर लहर उमड़ी सुरों की एक तुम ही से उपज कर

बहुत सुन्दर गीत

Satish Saxena said...

बहुत सुंदर मधुर गीत !

रंजना said...

माँ वीनावादिनी को शत शत नमन.......अद्वितीय सुंदर गीत.
माता के चरणों में जो आपने भावांजलि अर्पित की है,माता उसे सतत स्वीकार करें और आपके साथ साथ हम सब पर भी आपना स्नेह बनाये रखें ,यही प्रार्थना है.

मोहन वशिष्‍ठ said...

बहुत ही सुंदर एक मधुर गीत धन्‍यवाद अच्‍छी प्रस्‍तुति

Shardula said...

माँ सरस्वती के धवल-उज्जवल आँचल की भांति आपका गीत भी श्वेत-निर्मल है। माँ के दुलारे जो हैं आप :)

माँ शारदा और उनके लाडले बेटे, दोनों को नमन !
सादर।।

Dr. Amar Jyoti said...

सुकुमार प्रणय की सुकुमार अभिव्यक्ति।
बधाई।

ghughutibasuti said...

बहुत सुन्दर !
घुघूती बासूती

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