प्रतीक्षा

कल्पना जिसकी चित्रित करे तूलिका, छैनियां शिल्पियों की जो सपना गढ़े
शब्द होकर मगन रात दिन हर घड़ी, एक जिसके लिये ही कसीदे पढ़े
रागिनी कंठ की वाणियों में घुली, जिसके गीतों को आवाज़ देती रही
बस उसी की प्रतीक्षा में आतुर नयन, राह को मोड़ पर थाम कर हैं खड़े

1 comment:

Shar said...

"शब्द होकर मगन रात दिन हर घड़ी, एक जिसके लिये ही कसीदे पढ़े "

सुन्दर !!

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