नव वर्ष 2018

आज प्राची के क्षितिज से हो रहे नव गान गुंजित
है नये इक वर्ष की शुभकामना तुमको समर्पित

भोर आतुर है, करे नूतन दिवस पर चित्रकारी
और कलियों ने तुहिन की बूँद ले छवियाँ पखारी
मलयजे आकर सुनाने को चली है मंगलायन
आरती की तान ने नव आस की बूटी सँवारी

आस्था के रंग फिर से आज होते है समन्वित
है नए इस वर्ष की शुभकामना तुमको समर्पित

आ गया है वर्ष लेकर डायरी के पृष्ठ कोर
शब्द लिखती हो तुम्हारे लेखनी केवल नकोरे
स्वस्ति चिह्नों से भरें रांगोलिया उगते दिवस की
और दुलराएँ गली पूरबाइयों के ही झकोरे

पगतली जो पंथ चूमे वह डगर हो पुष्प संज्जित
है नए इस वर्ष की शुभकामना तुमको समर्पित

शेष न साया रहे बीती हुई कड़वाहटों का
हर निमिष अभिनंदनी हो पास आते आगतों का
स्वप्न की जो पालकी आए, सजे दुल्हन सरीखी
साँझ नित स्वागत करे मुस्कान के अभ्यागतों का

जो नयन में कल्पनाएँ हों सभी इस बार शिल्पित
हैं सभी नव वर्ष की शुभकामना सादर समर्पित 

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