माँ शारदा के चरणों में सादर नमन

श्वेत पत्रों से पंकज के फिसली हुई ओस की बूँद ढल स्याहियों में गई
बीन के तार के कम्पनों से छिटक एक सरगम आ सहसा कलम बन गई
फिर वरद हस्त आशीष बन उठ गया बारिशें अक्षरों की निरंतर हुईं
शब्द की छंद की माल पिरती हुई आप ही आप आ गीत तब बन गई.

माँ  शारदा के चरणों में सादर नमन

7 comments:

Shar said...

:)

Satish Saxena said...

शुभप्रभात, शारदा पुत्र राकेश !!
ओस में धुले इन शब्दों को प्रणाम !

Udan Tashtari said...

हमारा नमन भी पहुँचें...


बीन के तार?? ये बिम्ब...

श्यामल सुमन said...

आपकी बात ही निराली है राकेश भाई - गागर मे सागर।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

रंजना said...

Maa vinapani ko shat shat naman !!!

विनोद कुमार पांडेय said...

सादर नमन!!!

Shardula said...
This comment has been removed by the author.

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