आस थी राह के मोड़ पर जा खड़ी
फूल गुलदान में कुछ सजाती रही
ज़िन्दगी दूसरी राह पर चल रही
दूर से ही अँगूठा दिखाती रही
प्रीत के पंथ आँसू बना कर शिविर
अपने साम्राज्य की घोषणा कर रहे
चाहतों के सरोवर, मरूमेह की
छटपटाती हुई साध से भर रहे
नैन की डालियों पर सपन की कली
मुस्कुराने से पहले ही झड़ती रही
अलगनी पर प्रतीक्षा की लटकी हुई
पीर भुजपाश की और बढ़ती रही
सांझ के धुंधले आलाव में रात की
सुरमई चाँदनी खिलखिलाती रही
मुट्ठियों के झरोखों से रिसता रहा
कुछ भी संचित हो रह न सका कोष में
वक्त का हर निमिष दूर से बह गया
यों लगा हो कि जैसे भरा रोष में
पोर उंगली के छू न सके शून्य भी
हाथ फैले, न था कोई भी सामने
एक संतोष बैठा लगा पालथी
ये ही किस्मत में शायद लिखा राम ने
जब भी पुरबाई भूले से आई इधर
आँधियों की तरह सनसनाती रही
टाँग ईजिल पे वयसन्धियों के चरण
कूचियां साँस की रंग भरती रहीं
पी गये कैनवस रंग की धार को
आकॄतियाँ कुहासी उभरती रहीं
अपना अस्तित्व पहचानने के लिये
एक दर्पण को हम ढूँढ़ते रह गये
धागे टूटे हुए शेष परिचय के सब
अजनबी बाढ़ के साथ में बह गये
दीप की वर्तिका आँजुरि में जली
हाथ में नव लकीरें बनाती रही
पीढ़ियों की जो अर्जित धरोहर मिली
खर्च करते रहे सोचे समझे बिना
अल्पना सज सके कोई वीरान में
हम लुटाते रहे हाथ की भी हिना
मेघ चिकुरों में ढलने लगी चाँदनी
किन्तु गत से न संबंध तोड़ा कभी
हम जहां हैं, वहां हमको होना न था
बस इसी कशमकश में रहे आज भी
जेठ की धूप में बर्फ़ सी गल रहीं
धड़कनें अर्थ अपना गंवाती रही
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4 comments:
राकेश जी
हर नई रचना और एक नई अनुभूति.
अदभुत है आपकी लेखनी और आपकी सोच.
बहुत बधाई
समीर लाल
आस और ज़िंदगी समानांतर चलती रही,..शिविर आंसुओं के, और सपन की कली..........कहना होगा मात्र यह कि, लेखनी- अनुभव उगलती रही...इससे ज्यादा इस कविता के सम्मान में और क्या प्रतिक्रिया दे सकते हैं.
-रेणु आहूजा.
इतनी छटपटाहट ! इतनी वेदना !
मर्मस्पर्शी कविता !
ऊपर वाली कविता "गीत सावन के" में टिप्पंणी देने की सुविधा नहीं है. बहुत ही सुन्दर कविता है .
"पलक पर से फिसलते रह गये बस पांव सपनों के"
"न फ़ैला है गगन के मुख अभी तक रात का काजल"
"दिशाओं के झरोखों में न लहरे हैं अभी कुन्तल"
"न छलकी है गगन के पंथ में यायावरी छागल"
"न बूँदों के दिखे मोती घटा की मुँह दिखाई में"
ये कविता अनूठी सी है. इसे कवि लिख रहे हैं या कवयित्री ये मालूम नहीं चलता. बहुत सुन्दर तरह से मन के भावों को चित्रित किया है !!
उदासी, वेदना और विरह में सौन्दर्य पिरोना कोई आपसे सीखे !!
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