tag:blogger.com,1999:blog-15125972.post8833672088609490654..comments2023-11-03T05:42:12.168-04:00Comments on गीत कलश: वह अनलिखा पत्र लिख डालूँराकेश खंडेलवालhttp://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-71964336323406619932009-06-25T09:25:57.062-04:002009-06-25T09:25:57.062-04:00मैं वह अनलिखा पत्र लिख डालूँ
abhilasha ke sunder b...मैं वह अनलिखा पत्र लिख डालूँ<br />abhilasha ke sunder bhav wah wahM VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-7310468594169863652009-06-25T02:16:59.311-04:002009-06-25T02:16:59.311-04:00शायद पथ में उड़ी धूल में लिपटा हो कोई सन्देसा
सपना...शायद पथ में उड़ी धूल में लिपटा हो कोई सन्देसा<br />सपना है ये, और बुझा मैं दीपक फिर वह आज जला लूँ<br />देरी से आकर ये गीत पढ़ रहा हूं । फिर आकर महकी है मन में गंधों भरीं हवाएं वे सब जो कि तुम्हारी रची हथेली से उन्वान लिया करती थीं । <br />पूरे गीत से सुगंध आ रही है कहीं मोगरे की तो कहीं रातरानी की । <br />अनूठा गीत है ।पंकज सुबीरhttps://www.blogger.com/profile/16918539411396437961noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-39529912837150101922009-06-23T23:50:32.447-04:002009-06-23T23:50:32.447-04:00शायद पथ में उड़ी धूल में लिपटा हो कोई सन्देसा
सपना ...शायद पथ में उड़ी धूल में लिपटा हो कोई सन्देसा<br />सपना है ये, और बुझा मैं दीपक फिर वह आज जला लूँ<br />दिल को छू लेने वले भाव ऐसा तभी घटता है जब कवि सिर्फ कविता मे जीता है बहुत बहुत शुभकामनायेंनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-60694368005860100322009-06-23T20:40:25.262-04:002009-06-23T20:40:25.262-04:00मुझे आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा! बहुत ख़ूबसूरत रचना ...मुझे आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा! बहुत ख़ूबसूरत रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ है!<br />मेरे ब्लोगों पर आपका स्वागत है!Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-12114595264314792052009-06-23T07:30:56.174-04:002009-06-23T07:30:56.174-04:00बेहतरीन...wahwa..बेहतरीन...wahwa..योगेन्द्र मौदगिलhttps://www.blogger.com/profile/14778289379036332242noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-34930865590493112372009-06-22T05:20:41.492-04:002009-06-22T05:20:41.492-04:00बहुत खुब ..........यह बहुत आपने भावाना के करीब लगी...बहुत खुब ..........यह बहुत आपने भावाना के करीब लगी ....सुन्दर रचनाओम आर्यhttps://www.blogger.com/profile/05608555899968867999noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-7475726418821160522009-06-21T22:18:08.609-04:002009-06-21T22:18:08.609-04:00शायद कल इक किरण हाथ में आकर मेरे कलम बन सके
सपना ह...शायद कल इक किरण हाथ में आकर मेरे कलम बन सके<br />सपना है ये, और तुम्हें मैं वह अनलिखा पत्र लिख डालूँ<br /><br />आह्ह!! कहाँ छुआ इस रचना ने..बहुत गहरे उतर कर. अद्भुत हमेशा की तरह!!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com