tag:blogger.com,1999:blog-15125972.post7043548630836474528..comments2023-11-03T05:42:12.168-04:00Comments on गीत कलश: आज नये कुछ बिम्ब उभारूँराकेश खंडेलवालhttp://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-69699191719597044492008-10-20T12:18:00.000-04:002008-10-20T12:18:00.000-04:00बहुत सुंदर भाई जी !बहुत सुंदर भाई जी !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-66651075401593976122008-10-16T08:26:00.000-04:002008-10-16T08:26:00.000-04:00राकेश जी, प्रणाम, बहुत अच्छी कविता, नये बिम्ब,...राकेश जी, प्रणाम, <BR/><BR/>बहुत अच्छी कविता, नये बिम्ब, कल्पनायें, चिन्तन और दर्शन से भरपूर, मन को भा गई।<BR/><BR/>समीर जी के ब्लॉग पर आपके कविता संग्रह के विमोचन के बारे में जानकारी मिली, इसके साथ ही कंचनजी के ब्लॉग पर भी आपको पढ़ने को सौभाग्य प्राप्त हुआ। कविता संग्रह के प्रकाशन पर बधाई .....<BR/><BR/>अनवरत, निरंतर लिखते रहें और अपने चिन्तन को शब्दों में ढाल उसकी खुशबू बिखेरते रहें,<BR/>शुभकामनाओं सहित....<BR/><BR/>सुनील आर. करमेले, इन्दौरSuneel R. Karmelehttps://www.blogger.com/profile/03638450569979915656noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-55065355331584339642008-10-16T00:36:00.000-04:002008-10-16T00:36:00.000-04:00नमस्कार राकेश जी, बधाई पुस्तक विमोचन के लिये, समीर...नमस्कार राकेश जी, बधाई पुस्तक विमोचन के लिये, समीर जी से रिपोर्ट पङने को मिली, मुझे और विज़ को अपनी प्रति का इंतजार रहेगा|संगीता मनरालhttps://www.blogger.com/profile/00008506264170362305noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-70934900086888330322008-10-15T10:02:00.000-04:002008-10-15T10:02:00.000-04:00ऐसा प्रतीत होता है जैसे होठ तो हंस रहें हैं पर मन ...ऐसा प्रतीत होता है जैसे होठ तो हंस रहें हैं पर मन में वेदना है। लग रहा है कि अकेले दरिया के किनारे बैठ कर लिख है किसी ने ये गीत।<BR/>इस हर्ष-विषाद पूर्ण शैली को भी नमन ! <BR/>जब आप की व्यस्तता थोडी कम होगी, तो आशा है गुरुजी हमें भी कुछ सिखाएंगे :)<BR/>तब तक आपके ब्लाग का ग्रंथ पढ कर ही काम चला रहे हैं हम !Sharhttps://www.blogger.com/profile/16686072974110885189noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-46215054022157187662008-10-15T06:59:00.000-04:002008-10-15T06:59:00.000-04:00सुंदर गीत है, बधाई।सुंदर गीत है, बधाई।adminhttps://www.blogger.com/profile/09054511264112719402noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-67243004475971971442008-10-15T05:45:00.000-04:002008-10-15T05:45:00.000-04:00कवि गहन चिन्तन में डूबेध्वनि, किरण सलीब उठायेभांपे...कवि गहन चिन्तन में डूबे<BR/>ध्वनि, किरण सलीब उठाये<BR/>भांपे कल्पना मुरझाया स्वर<BR/>चाहे सृजन गीत वों गायें ।<BR/><BR/>ये पीडा, ये उन्कंठा तज<BR/>आ तेरा पथ पलक बुहारूँ<BR/>तुलसी ना अधिकार चाहती<BR/>बनूँ अहिल्या माथ पग धारूँ ।<BR/><BR/>हवा,लहर,ध्वनि और किरन नव<BR/>हो मिश्रित लयबद्ध हो जातीं<BR/>उठा शंख कोई सुने सिन्धु स्वर<BR/>धारा स्नेह-सिक्त हो गाती ।<BR/><BR/>समकक्षी को ढूँढे हारिल<BR/>कैसे उसकी भूल सुधारूँ<BR/>तू प्रज्जवलित हो जग रोशन कर<BR/>मैं दग्ध कठं आरती उतारूँ ।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-16756043599882911682008-10-15T05:28:00.000-04:002008-10-15T05:28:00.000-04:00वहाँ क्षितिज के परे बिन्दु है एक सभी कुछ जो पी जात...वहाँ क्षितिज के परे बिन्दु है एक सभी कुछ जो पी जाता<BR/>एक दिशा को ही जाता पथ, लौट नहीं है वापिस आताउ<BR/>स रहस्य की कथा खोल दूँ एक एक कर अध्यायों में<BR/>और नई आशा संचारूँ, थक कर बैठे निरुपायों में "<BR/><BR/>सदैव की भांति अन्यतम अति सुंदर अद्भुद गीत..रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-31338762222527305662008-10-15T05:25:00.000-04:002008-10-15T05:25:00.000-04:00सुंदर !सुंदर !Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-57919858598469082532008-10-14T23:42:00.000-04:002008-10-14T23:42:00.000-04:00बहुत सुंदर कहा ..अच्छे लगे यह बिम्बबहुत सुंदर कहा ..अच्छे लगे यह बिम्बरंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-77387859178140116032008-10-14T22:58:00.000-04:002008-10-14T22:58:00.000-04:00जीवन की निरंतरता की दार्शनिक अभिव्यक्ति।बहुत ख़ूब।जीवन की निरंतरता की दार्शनिक अभिव्यक्ति।<BR/>बहुत ख़ूब।Dr. Amar Jyotihttps://www.blogger.com/profile/08059014257594544439noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-33247629199627864612008-10-14T22:38:00.000-04:002008-10-14T22:38:00.000-04:00सुन्दर। आपके कविता संग्रह के विमोचन की बधाई!सुन्दर। आपके कविता संग्रह के विमोचन की बधाई!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-79740873693011808422008-10-14T21:56:00.000-04:002008-10-14T21:56:00.000-04:00बहुत सुँदर कविता हैँ जहाँ ब्रह्माँड शब्दोँ मेँ मुख...बहुत सुँदर कविता हैँ जहाँ ब्रह्माँड शब्दोँ मेँ मुखरित हुआ है !<BR/>- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-79657271214816078082008-10-14T21:37:00.000-04:002008-10-14T21:37:00.000-04:00अद्भुत!!!! क्या बात है...क्या कहूँ!! शब्द तो मेरे ...अद्भुत!!!! क्या बात है...क्या कहूँ!! शब्द तो मेरे पास है ही नहीं! आप तो सब जानते हैं. :)Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com