tag:blogger.com,1999:blog-15125972.post5833483338866067185..comments2023-11-03T05:42:12.168-04:00Comments on गीत कलश: स्वप्न तुम्हारे आकर जब से चूम गये मेरी पलकों कोराकेश खंडेलवालhttp://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-34992419703261466432009-10-28T11:32:35.031-04:002009-10-28T11:32:35.031-04:00स्वप्न तुम्हारे आकर जब से चूम गये मेरी पलकों को
नि...स्वप्न तुम्हारे आकर जब से चूम गये मेरी पलकों को<br />निंदिया के आँगन में तब से महकी है क्यारी गुलाब की<br /><br />बहुत बढ़िया उम्दा रचना राकेश जी ....समयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-88239351631470268242009-10-28T10:27:22.035-04:002009-10-28T10:27:22.035-04:00आपका नितांत सुंदर "चित्र-गीत" देखा. Ren...आपका नितांत सुंदर "चित्र-गीत" देखा. Renaissance style painting या artefact की तरह है ये. <br />इतना सुन्दर ना लिखा करें!<br />"अम्बर ने लटका दीं विधु की विभा कमन्दें बना बना कर<br />आये उन पर उतर रात की अमराई से चल कर सपने<br /><br />जो छू आये चित्र तुम्हारे वे आये मेरी खिड़की पर<br />दुहराते गाथायें सारी परी कथा वाली किताब की<br /><br />धवल कपोतों के पंखों पर अटके हुए हवा के झोंके<br />रुक कर लगे देखने जितने चित्र पाटलों पर बन पाये<br />सपनों के गलियारे में जो चहलकदमियाँ किये जा रहे<br />चित्र तुम्हरे, से ले लेकर गीत प्रीत में भिगो सुनाये "<br /><br />एक छोटा सा झूमर हुआ करता था हमारे पास, विशु के कमरे के लिए, उसमें सफ़ेद रेशमी धागों में क्रिस्टल के देवदूत थे, alternate चाँद, तारे और cranes थे. उसकी याद आ गयी ये पढ़ के!<br />---------<br />"गंगा की धारा में लहरें उलझीं हैं आकर चिनाव की "--- कभी सोचा नहीं ऐसा, पढ़ा भी नहीं. <br />उफ्फ, अब इस पे क्या कहें:" सिमट गये कुछ चंचल सपने उसमें चुपके चुपके आकर"<br />-----<br />"अंतिम प्रहर रात का बरसा पिघल ओस की बून्दों में जब<br />तब हो उसमें सराबोर ये पलकों की कोरों पर आये<br />अलसाई अँगड़ाई के आँचल को थामे खड़े रहे हैं<br />छोड़ी नहीं किनारी पकड़ी नयनों पर बिछ गये लिहाफ़ की"<br />-- इसके बारे में अभी कुछ ना कह सकूंगी.Shardulahttps://www.blogger.com/profile/14922626343510385773noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-41503547514279366852009-10-28T09:05:45.926-04:002009-10-28T09:05:45.926-04:00Ati soumy sundar manohari pranay geet.....Waah !!Ati soumy sundar manohari pranay geet.....Waah !!रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-12282579672751979212009-10-28T03:12:30.797-04:002009-10-28T03:12:30.797-04:00जो छू आये चित्र तुम्हारे वे आये मेरी खिड़की पर
दुहर...जो छू आये चित्र तुम्हारे वे आये मेरी खिड़की पर<br />दुहराते गाथायें सारी परी कथा वाली किताब की<br />shandar,dilkash geet,sunder.mehekhttps://www.blogger.com/profile/16379463848117663000noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-58473041675947817612009-10-28T01:25:36.876-04:002009-10-28T01:25:36.876-04:00स्वप्न तुम्हारे आकर जब से चूम गये मेरी पलकों को
नि...स्वप्न तुम्हारे आकर जब से चूम गये मेरी पलकों को<br />निंदिया के आँगन में तब से महकी है क्यारी गुलाब की <br /><br />बहुत ही सुन्दर एवं बेहतरीन प्रस्तुति, आभारसदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-67277453169139763022009-10-28T00:55:07.045-04:002009-10-28T00:55:07.045-04:00बहुत सुन्दर रचना है। आअकी सभी रचनायें लाजवाब होती ...बहुत सुन्दर रचना है। आअकी सभी रचनायें लाजवाब होती हैं। धन्यवाद्निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-6636917548690996062009-10-27T23:16:14.082-04:002009-10-27T23:16:14.082-04:00स्वप्न तुम्हारे आकर जब से चूम गये मेरी पलकों को
नि...स्वप्न तुम्हारे आकर जब से चूम गये मेरी पलकों को<br />निंदिया के आँगन में तब से महकी है क्यारी गुलाब की<br />प्रेम रस से सराबोर रचना ..!!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-72940137397659844592009-10-27T22:20:15.520-04:002009-10-27T22:20:15.520-04:00खुबसुरत रचना....खुबसुरत रचना....IMAGE PHOTOGRAPHYhttps://www.blogger.com/profile/07648170539684419518noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-28958242067763151582009-10-27T21:44:23.492-04:002009-10-27T21:44:23.492-04:00:):)Sharhttps://www.blogger.com/profile/16686072974110885189noreply@blogger.com