tag:blogger.com,1999:blog-15125972.post5382313664786317509..comments2023-11-03T05:42:12.168-04:00Comments on गीत कलश: नजर हो चुकी है सन्यासीराकेश खंडेलवालhttp://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-3906148656387471612007-06-17T14:47:00.000-04:002007-06-17T14:47:00.000-04:00आपको 'हिंदी ब्लॉग-युग के जय शंकर प्रसाद' कहने में ...आपको 'हिंदी ब्लॉग-युग के जय शंकर प्रसाद' कहने में अतिशयोक्ति नहीं होगी।महावीरhttps://www.blogger.com/profile/00859697755955147456noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-17593978789482096052007-06-14T09:45:00.000-04:002007-06-14T09:45:00.000-04:00kathya aur shilp donon hee staron par bahut hee um...kathya aur shilp donon hee staron par bahut hee umda rachana hai bhai.<BR/>Isht Deo Sankrityaayanइष्ट देव सांकृत्यायनhttps://www.blogger.com/profile/06412773574863134437noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-191136059112350152007-06-13T10:10:00.000-04:002007-06-13T10:10:00.000-04:00बहुत सुंदर रचना है राकेश जी...विशेष कर..दस्तक से छ...बहुत सुंदर रचना है राकेश जी...विशेष कर..<BR/>दस्तक से छिल चुकी हथेली में रेखाओं को तलाशते<BR/>अब तो कुशा कमंडल लेकर, नजर हो चुकी है सन्यासी<BR/>बहुत-बहुत बधाई आप बहुत गहरा लिखते है...<BR/>सुनीता(शानू)सुनीता शानूhttps://www.blogger.com/profile/11804088581552763781noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-19195166178926968212007-06-13T03:34:00.000-04:002007-06-13T03:34:00.000-04:00राकेश बहुत ही सुन्दर रचना है। ये पंक्तियाँ विशेषरू...राकेश बहुत ही सुन्दर रचना है। ये पंक्तियाँ विशेषरूप से पसन्द आईं:<BR/><BR/>नयनों की फुलवारी में बस<BR/>पौधे उगे नागफ़नियों के<BR/>रिश्ते जितने जुड़े बहारों से<BR/>सारे हैं दुश्मनियों के<BR/>चन्दन हुइ न देह, लिपटते<BR/>रहे किन्तु आ आकर विषधर<BR/>नीलबदन हो गये, मिला जो<BR/>जीवन का वह रस पी पीकर<BR/><BR/>आशाओं का लुटा चन्द्रमा, अभिलाषा की सूखी नदिया<BR/>अँगनाई में पांव पसारे, बैठी बस घनघोर उदासी<BR/><BR/>*** राजीव रंजन प्रसाद्राजीव रंजन प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/17408893442948645899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-51527553002058548412007-06-13T01:28:00.000-04:002007-06-13T01:28:00.000-04:00चन्दन हुइ न देह, लिपटतेरहे किन्तु आ आकर विषधरनीलबद...चन्दन हुइ न देह, लिपटते<BR/>रहे किन्तु आ आकर विषधर<BR/>नीलबदन हो गये, मिला जो<BR/>जीवन का वह रस पी पीकर<BR/><BR/>बहुत सुन्दर लिखा है राकेश जी। बहुत-बहुत बधाई। ये पंक्तियाँ बहुत पसन्द आईं।Dr.Bhawna Kunwarhttps://www.blogger.com/profile/11668381875123135901noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-14545850494106514932007-06-12T13:33:00.000-04:002007-06-12T13:33:00.000-04:00व्यथा भी कही है ऐसी की सुध दे गया मन में आकर…लगा ज...व्यथा भी कही है ऐसी की सुध दे गया मन में आकर…<BR/>लगा जैसे कोई वह बात कही और नहीं भी कही लिखकर…<BR/>दृष्टि तो अनोखी है आपकी जो सजलता से दिखाती है रास्ते अपनी…।Divine Indiahttps://www.blogger.com/profile/14469712797997282405noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-43567165657666938572007-06-12T07:41:00.000-04:002007-06-12T07:41:00.000-04:00सुन्दर भावपूर्ण रचना है राकेश जीसुन्दर भावपूर्ण रचना है राकेश जीMohinder56https://www.blogger.com/profile/02273041828671240448noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-71905581360753970442007-06-12T01:07:00.000-04:002007-06-12T01:07:00.000-04:00ॠष्यमूक पर बैठे बैठे हमने सारी उमर गँवा दीकिन्तु न...<I>ॠष्यमूक पर बैठे बैठे हमने सारी उमर गँवा दी<BR/>किन्तु न आया राह भटक भी, इस पथ पर कोई वनवासी</I><BR/>मैं अपनी ओर से क्या लिखूँ?Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-11529196602092866802007-06-11T22:46:00.000-04:002007-06-11T22:46:00.000-04:00हम आज बस यह कह्ते हैं-वाह, बहुत खूब!!!हम आज बस यह कह्ते हैं-वाह, बहुत खूब!!!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-44420898655305140242007-06-11T22:03:00.000-04:002007-06-11T22:03:00.000-04:00बहुत खूब!बहुत खूब!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-73463846964936322782007-06-11T21:55:00.000-04:002007-06-11T21:55:00.000-04:00राकेश जी, अत्यन्त भावपूर्ण अभिव्यक्ति हैराकेश जी, अत्यन्त भावपूर्ण अभिव्यक्ति हैमैथिली गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/09288072559377217280noreply@blogger.com