tag:blogger.com,1999:blog-15125972.post4135687928545829120..comments2023-11-03T05:42:12.168-04:00Comments on गीत कलश: कुछ सम्बन्धों के सम्बोधनराकेश खंडेलवालhttp://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-51799456719775778362010-08-18T15:25:31.169-04:002010-08-18T15:25:31.169-04:00जब बादल की परछाईं आ ढकने लगती है सूरज को
तब तब लगत...जब बादल की परछाईं आ ढकने लगती है सूरज को<br />तब तब लगता लगे बदलने कुछ सम्बन्धों के सम्बोधन<br /><br />जब परेशानी रूप बादल घिरते हैं तभी तो संबंधों का आंकलन होता है ...बहुत सुन्दर रचना ..संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-7336183879295651252010-08-18T13:57:55.396-04:002010-08-18T13:57:55.396-04:00बढ़िया पोस्ट!
....... ज़रा यह भी देखें !
नेताजी ...बढ़िया पोस्ट! <br /><br />....... ज़रा यह भी देखें !<br /><a href="http://burabhala.blogspot.com/2010/08/blog-post_17.html" rel="nofollow">नेताजी की मृत्यु १८ अगस्त १९४५ के दिन किसी विमान दुर्घटना में नहीं हुई थी।</a>शिवम् मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/07241309587790633372noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-82670963870165615042010-08-18T10:06:58.715-04:002010-08-18T10:06:58.715-04:00बड़ी बातें कहती सुन्दर कविता।बड़ी बातें कहती सुन्दर कविता।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com