tag:blogger.com,1999:blog-15125972.post3334950374524872525..comments2023-11-03T05:42:12.168-04:00Comments on गीत कलश: नया ही प्रश्न पत्र लेकर आती हैराकेश खंडेलवालhttp://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-9774005218364331072009-07-05T11:06:56.535-04:002009-07-05T11:06:56.535-04:00वाहवा क्या बात है.......वाहवा क्या बात है.......योगेन्द्र मौदगिलhttps://www.blogger.com/profile/14778289379036332242noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-60381305997431693102009-07-03T02:01:39.633-04:002009-07-03T02:01:39.633-04:00देते हैं हम नित्य परीक्षा, पीड़ाओं के अध्यायों की
औ...<b>देते हैं हम नित्य परीक्षा, पीड़ाओं के अध्यायों की<br />और सांझ हर बार नया ही प्रश्न पत्र लेकर आती है</b><br /><br />आरंभ ही खूबसूरत...!<br /><br />और फिर<br /><br /><b>मुरझा गये पुष्प परिचय के, छुईमुई से छूकर उंगली<br />रिश्तों के धागे कच्चे थे, तने जरा तो पल में टूटे<br />घिसी हथेली तो सपाट थी एक कांच के टुकड़े जैसी<br />असफ़ल हुई हिना भी चिन्हित कर पाती जो कोई बूटे</b><br /><br />क्या कहनेकंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-51247094818945144792009-06-29T07:40:52.756-04:002009-06-29T07:40:52.756-04:00गीत का समापन बहुत ही सुंदर पंक्तियों के साथ हुआ है...गीत का समापन बहुत ही सुंदर पंक्तियों के साथ हुआ है । बहुत सुंदर गीत और उतने ही सुंदर भाव । एक और अच्छे गीत के लिये बधाई ।पंकज सुबीरhttps://www.blogger.com/profile/16918539411396437961noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-88383801826902284562009-06-29T03:44:47.211-04:002009-06-29T03:44:47.211-04:00राकेश जी
बहुत ही प्रभावशाली कविता है। काव्य रचने ...राकेश जी<br />बहुत ही प्रभावशाली कविता है। काव्य रचने की ऐसी कला कम देखने को मिलती है। बहुत-बहुत बधाई।<br />पुन:<br />सुबह पढ़ी थी आपकी कविता। अभी तीसरा पहर है। कविता का प्रभाव कम नहीं हुआ।मथुरा कलौनीhttps://www.blogger.com/profile/08652709661569445696noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-83724758870141888662009-06-29T03:06:55.381-04:002009-06-29T03:06:55.381-04:00hamesha ki tarah lajwab.
देते हैं हम नित्य परीक्षा...hamesha ki tarah lajwab.<br />देते हैं हम नित्य परीक्षा, पीड़ाओं के अध्यायों की<br />और सांझ हर बार नया ही प्रश्न पत्र लेकर आती है<br />ye naye pryog aapka andaz ban gaye hain.<br />टूटे हुए स्वप्न की किरचें चुनते चुनते छिली हथेली<br />पंथ ढूँढ़ते हुए पथों का, पड़े पांव में अनगिन छाले<br />aha!kya baat hai..<br /><br />aapka andaz apna hai aur alag hai.सतपाल ख़यालhttps://www.blogger.com/profile/18211208184259327099noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-49936295774102372662009-06-29T01:41:45.479-04:002009-06-29T01:41:45.479-04:00इन कविताओं के लिये मेरे पास कहने को कुछ नहीं रहता ...इन कविताओं के लिये मेरे पास कहने को कुछ नहीं रहता । पढ़ता हूँ, गड़ता हूँ- विस्मय विभोर हो जाता हूँ । अपने आस-पास इस समय ऐसी कविता मैंने अन्यत्र नहीं पढ़ी । आभार ।Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-52792332914548910172009-06-29T01:36:35.363-04:002009-06-29T01:36:35.363-04:00उपर दोनो मानुभाव द्वारा कही गयी बात एक बार और कहे ...उपर दोनो मानुभाव द्वारा कही गयी बात एक बार और कहे देते है .............अदभूत............कहने को शब्द नही है ...............ओम आर्यhttps://www.blogger.com/profile/05608555899968867999noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-31540413209154884712009-06-28T23:21:38.160-04:002009-06-28T23:21:38.160-04:00राकेश जी,
श्री समीर लाल जी ने बिल्कुल ठीक कहा है ...राकेश जी,<br /><br />श्री समीर लाल जी ने बिल्कुल ठीक कहा है अद्भुत!!<br /><br />मुझे निम्न पंक्तियों ने भावविभोर कर दिया :-<br /><br />रिश्तों के धागे कच्चे थे, तने जरा तो पल में टूटे<br /><br />और <br /><br />समझौतों के समीकरण को सुलझाने में समय निकलता<br />एकाकीपन हिमपर्वत सा एक बून्द भी नहीं पिघलता<br />स्थिर हो गये पेंडुलम से बस लटके असमंजस के साये<br />एक कदम आगे बढ़ने का हर प्रयास दो बार फ़िसलता<br /><br />रस की बरसात हुई ज्यौं ज्यौं पढता चला गया।<br /><br />सादर,<br /><br />मुकेश कुमार तिवारीमुकेश कुमार तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/04868053728201470542noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-50507598398164804502009-06-28T22:34:15.632-04:002009-06-28T22:34:15.632-04:00जब अनुकूल हवाओं के झोंकों को किया निमंत्रित, जाने
...जब अनुकूल हवाओं के झोंकों को किया निमंत्रित, जाने<br />कैसे झंझा उमड़ उमड़ कर खुद द्वारे पर आ जाती है<br /><br /><br />-वाह!! आपका जबाब नहीं राकेश भाई..क्या दोहरऊँ बार बार कि अद्भुत!!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com