tag:blogger.com,1999:blog-15125972.post2221612588537410855..comments2023-11-03T05:42:12.168-04:00Comments on गीत कलश: मौन मन के भाव सारेराकेश खंडेलवालhttp://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-55380761631137157692009-04-26T22:26:00.000-04:002009-04-26T22:26:00.000-04:00"एक यह अहसास कोई हाथ काँधे पर रखे है
और बैठा सामने..."एक यह अहसास कोई हाथ काँधे पर रखे है<br />और बैठा सामने है मुस्कुराता बात करता"<br /><br />हे राम !Shardulahttps://www.blogger.com/profile/14922626343510385773noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-45284393653977865112008-05-09T04:52:00.000-04:002008-05-09T04:52:00.000-04:00man to horaha hai ki puri puri kavita sel;ect kar ...man to horaha hai ki puri puri kavita sel;ect kar ke....! hriday me paste kar lu.n ek ek shabda sundar..!कंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-18810798929748568402008-05-05T08:21:00.000-04:002008-05-05T08:21:00.000-04:00kabhi kabhi koi shabd dhuundhey nahi miltey ..kuch...kabhi kabhi koi shabd dhuundhey nahi miltey ..kuch kehney ko...bas baar baar padhii..aabhaarपारुल "पुखराज"https://www.blogger.com/profile/05288809810207602336noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-23078475164290110962008-05-05T07:11:00.000-04:002008-05-05T07:11:00.000-04:00आदरणीय राकेश जी,चेतना दोहरा रही है ज्ञान गीता का न...आदरणीय राकेश जी,<BR/><BR/>चेतना दोहरा रही है ज्ञान गीता का निरन्तर<BR/>भाव में लिपटा हुअ कोमल ह्रदय कब मानता है<BR/> <BR/>रचना का दर्शन और मर्म दोनो ही हृदय को गहरे स्पर्श करते हैं।<BR/><BR/>***राजीव रंजन प्रसादराजीव रंजन प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/17408893442948645899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-44266285174187868602008-05-05T01:39:00.000-04:002008-05-05T01:39:00.000-04:00राकेश जी,बहुत ही भाव भरी विहल कर देने वाली रचना है...राकेश जी,<BR/><BR/>बहुत ही भाव भरी विहल कर देने वाली रचना है.. सुबीर जी की टिप्पणी से इस रचना के उद्ग्म का पता चला...इस दुख की बेला मे हम आपके साथ है.Mohinder56https://www.blogger.com/profile/02273041828671240448noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-43376808425670025662008-05-04T23:03:00.000-04:002008-05-04T23:03:00.000-04:00किन परिस्थितियों में लिखी गई है ये कविता मैं जानता...किन परिस्थितियों में लिखी गई है ये कविता मैं जानता हूं । ये पीर को प्राण देने के समान है ये प्रलय से प्रणय के समान है । <BR/>पंथ सुनने को तरसते ही रहेंगी चाप पग की<BR/>शायद रहेंगीं की जगह पर रहेंगें होना था टंकण का दोष हो गया है । <BR/>पुन: गीत पीर की गाथा है और कहा तो ये गया है कि हैं सबसे मधुर वे गीत जिन्हें हम दर्द के सुर में गाते हैं । आपके श्रद्धेय अग्रज को मेरी ओर से भी श्रद्धांजलि ।पंकज सुबीरhttps://www.blogger.com/profile/16918539411396437961noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-28850485400771996712008-05-04T21:39:00.000-04:002008-05-04T21:39:00.000-04:00बहुत सुंदर. मन को छू गई.बहुत सुंदर. मन को छू गई.अमिताभ मीतhttps://www.blogger.com/profile/06968972033134794094noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-336314463403410992008-05-04T20:21:00.000-04:002008-05-04T20:21:00.000-04:00सच है:ज़िन्दगी का सत्य कटु है, जानता हूँ किन्तु पाग...सच है:<BR/><BR/>ज़िन्दगी का सत्य कटु है, जानता हूँ किन्तु पागल<BR/>है हठी मन, जो इसे स्वीकार कर पाता नहीं है<BR/><BR/>--बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com