tag:blogger.com,1999:blog-15125972.post1762649942080647477..comments2023-11-03T05:42:12.168-04:00Comments on गीत कलश: प्रीत का पहला निमंत्रणराकेश खंडेलवालhttp://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-8497801706424591332009-06-01T09:10:28.403-04:002009-06-01T09:10:28.403-04:00"आंख की अंगनाईयां, पैंजनी का सुर कॄष्ण की बासुरी ..."आंख की अंगनाईयां, पैंजनी का सुर कॄष्ण की बासुरी पर राग में ढलता हुआ, मौन वाणी, हवाओं के परों पर दॄष्टि का संदेशों को पिरोना और मन की बात को हिना में रचना !!<br />कितना सौंदर्य, कितनी शिष्टता इन बिम्बों में!!<br /><br />"पांव के नख से धरा के शाल पर जो आ कढ़ा था" <br />"दंत-क्षत पल्लू सुनाने लग गये हैं फिर कहानी<br />उंगलियों के चिन्ह फिर से छोर पर बनने लगे हैं<br />फिर किताबों में सुगन्धित हो गये हैं फूल सूखे<br />और गुलमोहर पुन: अब शाख से झरने लगे हैं<br /><br />बात करने लग गया है एक वह रूमाल मुझसे<br />एक दिन जिस पर अचानक होंठ का चुम्बन जड़ा था"<br /><br />"कल्पना फिर गुनगुनाने लग गई है दूध धोई"<br />सब कुछ अति-अति सुन्दर !!<br />कुछ और उचित प्रसंशा लिख सकें वह क्षमता नहीं है लेखनी में !Shardulahttps://www.blogger.com/profile/14922626343510385773noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-51334330239868384212009-05-26T22:15:31.281-04:002009-05-26T22:15:31.281-04:00An astoundingly beautiful song! So subtle, so deli...An astoundingly beautiful song! So subtle, so delicate! Soft like birds’ feathers . . . pure like their songs ! Amazing!! Thanks for this lovely treat to eyes, ears and heart !Sharhttps://www.blogger.com/profile/16686072974110885189noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-67136056704739515842009-05-25T21:04:12.129-04:002009-05-25T21:04:12.129-04:00गीतकार रमानाथ अवस्थी की याद दिला दी आप न्e. ऐसे गी...गीतकार रमानाथ अवस्थी की याद दिला दी आप न्e. ऐसे गीत आजकल कहां दिखते हैं !<br /><br />अति सुन्दरगिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-46992519937871333512009-05-25T14:49:00.999-04:002009-05-25T14:49:00.999-04:00दंत-क्षत पल्लू सुनाने लग गये हैं फिर कहानी
उंगलियो...दंत-क्षत पल्लू सुनाने लग गये हैं फिर कहानी<br />उंगलियों के चिन्ह फिर से छोर पर बनने लगे हैं<br />फिर किताबों में सुगन्धित हो गये हैं फूल सूखे<br />और गुलमोहर पुन: अब शाख से झरने लगे हैं<br /><br />बात करने लग गया है एक वह रूमाल मुझसे<br />एक दिन जिस पर अचानक होंठ का चुम्बन जड़ा था<br /><br />--बहुत सुन्दर बहता हुआ गीत.आनन्द आ गया, बधाई.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-19667574980027513422009-05-25T14:21:48.648-04:002009-05-25T14:21:48.648-04:00बहुत बहुत बहुत अच्छी रचना ...पढ़कर अच्छा लगा
मेर...बहुत बहुत बहुत अच्छी रचना ...पढ़कर अच्छा लगा <br /><br /><A HREF="http://meraapnajahaan.blogspot.com/2009/05/blog-post_25.html" REL="nofollow">मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति </A>अनिल कान्तhttps://www.blogger.com/profile/12193317881098358725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-11867926571652707612009-05-25T10:55:14.450-04:002009-05-25T10:55:14.450-04:00बहुत बढिया .. गजब की रचना।बहुत बढिया .. गजब की रचना।संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-30117573763613556562009-05-25T07:19:47.310-04:002009-05-25T07:19:47.310-04:00अद्वितीय !!
शिष्ट सौम्य श्रृंगार रस की अनोखी मिसा...अद्वितीय !! <br />शिष्ट सौम्य श्रृंगार रस की अनोखी मिसाल है यह रचना... <br />श्रृंगार रस की स्निग्ध धार मानस को तरल तृप्त कर जाती है.<br /><br />बहुत ही सुन्दर रचना....आनंद आ गया पढ़कर....वाह !!रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-50351837490133651112009-05-25T03:28:50.619-04:002009-05-25T03:28:50.619-04:00फिर किताबों में सुगन्धित हो गये हैं फूल सूखे
और गु...फिर किताबों में सुगन्धित हो गये हैं फूल सूखे<br />और गुलमोहर पुन: अब शाख से झरने लगे हैं<br />wah wah<br />फिर संवरने लग गये हैं पात पीपल के सुनहरे<br />फिर घटाओं ने लिखा है बूँद से सन्देश कोई<br />kya kahnae janab!<br />याद फिर आया अधर का थरथराना, मौन वाणी<br />याद वह संदेश, आये जो हवाओं के परों पर<br />aap ki nazam paRhkar aaj jane kyon aankhen nam ho gayee, koi purana manzar saamne se guzar gya.सतपाल ख़यालhttps://www.blogger.com/profile/18211208184259327099noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-32417793397688540862009-05-24T21:51:55.427-04:002009-05-24T21:51:55.427-04:00आज फिर वह भाव करने लग गया है नॄत्य मन में
जो कभी भ...आज फिर वह भाव करने लग गया है नॄत्य मन में<br />जो कभी भुजपाश के पथ पर सहज आगे बढ़ा था<br /><br />वाह राकेश भाई। मजा आ गया पढ़कर। जैसा कि आप जानते हैं अपनी तुकबंदी की आदत से लाचार हूँ। तो लीजिए पेश है-<br /><br />आने वाला कल सुहावन कोशिशें करते रहे हम।<br />हूँ दुखी जब टूटते वो स्वप्न जो मैंने गढ़ा था।।<br /><br />हाँ भाई आपका फोन पर अचानक बात करना अविस्मरणीय है मेरे लिए। भारत में कबतक हैं?<br /><br />सादर <br />श्यामल सुमन <br />09955373288 <br />www.manoramsuman.blogspot.com<br />shyamalsuman@gmail.comश्यामल सुमनhttps://www.blogger.com/profile/15174931983584019082noreply@blogger.com