tag:blogger.com,1999:blog-15125972.post115947215854842206..comments2023-11-03T05:42:12.168-04:00Comments on गीत कलश: अधूरी यादराकेश खंडेलवालhttp://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-31335288577588088222008-10-15T10:20:00.000-04:002008-10-15T10:20:00.000-04:00ये रचना बहुत पसन्द है मुझे! आप यूँ ही बहुत सुन्दर ...ये रचना बहुत पसन्द है मुझे! आप यूँ ही बहुत सुन्दर लिखते रहें तो हमें तो बहुत जल्दी चश्मा चढ जयेगा !<BR/>ये अंधेरी रात के सूरज में भी है ना !<BR/>obviously है !Sharhttps://www.blogger.com/profile/16686072974110885189noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-1159604684085144782006-09-30T04:24:00.000-04:002006-09-30T04:24:00.000-04:00बहुत ही सुंदर और सजीव चित्रण है.बहुत ही सुंदर और सजीव चित्रण है.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-1159489114674805452006-09-28T20:18:00.000-04:002006-09-28T20:18:00.000-04:00बहुत सुंदर और सजीव चित्रण है:"हुक्का पंचायत, चौपाल...बहुत सुंदर और सजीव चित्रण है:<BR/><BR/>"हुक्का पंचायत, चौपालें<BR/>झूले वाली नीम की डालें<BR/>वावन गजी घेर का लहँगा<BR/>मुँह बिचका, दिखलाना ठेंगा<BR/>एक पोटली, लड़िया, छप्पर<BR/>माखन, दही टँगा छींके पर"...<BR/><BR/>वाह, राकेश भाई.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com