रूप की धूप

शिल्पकारों का सपना संजीवित हुआ एक ही मूर्त्ति में ज्यों संवरने लगा
चित्रकारों का हर रंग छू कूचियां, एक ही चित्र में ज्यों निखरने लगा
फागुनी फाग,सावन की मल्हार मिल कार्तिकी पूर्णिमा को लगा कर गले
आपके रूप की धूप में चाँदनी का नया ही कोई चित्र बनने लगा

2 comments:

Shar said...

"फागुनी फाग,सावन की मल्हार मिल कार्तिकी पूर्णिमा को लगा कर गले"
=========
सुन्दर !!

Unknown said...

بنشر متنقل

नव वर्ष २०२४

नववर्ष 2024  दो हज़ार चौबीस वर्ष की नई भोर का स्वागत करने खोल रही है निशा खिड़कियाँ प्राची की अब धीरे धीरे  अगवानी का थाल सजाकर चंदन डीप जला...