tag:blogger.com,1999:blog-15125972.post112377942868590024..comments2023-11-03T05:42:12.168-04:00Comments on गीत कलश: 15 अगस्तराकेश खंडेलवालhttp://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-15125972.post-78065456079166206602008-11-12T04:52:00.000-05:002008-11-12T04:52:00.000-05:00आज फिर शुरू से कक्षा में आये हैं गुरुजी :)"फ़र्क क्...आज फिर शुरू से कक्षा में आये हैं गुरुजी :)<BR/><BR/>"फ़र्क क्या पड़ता किसी को , हो खरा, खोटा भले हो<BR/>माँग सिक्के की, जिसे हम सब चलाये आ रहे हैं"<BR/>--अब समझ आया किसी की एक टिप्पणी का मतलब !<BR/><BR/>"नीम की शाखाओं पर आ धूप तिनके चुन रही है<BR/>बाँसुरी शहनाईयों की मौन सरगम सुन रही है<BR/>बादलों के चंद टुकड़ों की कुटिल आवारगी के<BR/>साथ मिल षड़यंत्र, झालर अब हवा की बुन रही है<BR/>फूल के संदेश माली कैद कर रखने लगा है<BR/>योजना के चित्र पर फिर से सपन उगने लगा है<BR/>मच रहे हड़कंप में बाजी उसी के हाथ लगती<BR/>जो दिये को नाग के फन पर यहाँ रखने लगा है"<BR/>--ये इतना सुन्दर लिखा है कि क्या कहें :)<BR/><BR/>"स्वर्ण-पल के आठवें वर्षाभिनन्दन का समारोह"<BR/>--आठवें कैसे?? क्या अमरीका आये आठ साल हो गये थे ?Sharhttps://www.blogger.com/profile/16686072974110885189noreply@blogger.com