मातृ दिवस

उम्र की राह में हर किसी मोड़ पर नाम तेरा ही है पंथ दीपित करें
तेरे आशीष की बदलियाँ घिर घनी जेठ का ताप  भी पल में शीतल करे 
नाम का तेरे पारस पारस कर रहा शूल बिखरे हुए, फूल की पांखुरी 
शब्द सारे ही क्षमतारहित रह गए तेरा गुणगान जो तूल  भर भी करें 

1 comment:

Udan Tashtari said...

क्या बात है

नव वर्ष २०२४

नववर्ष 2024  दो हज़ार चौबीस वर्ष की नई भोर का स्वागत करने खोल रही है निशा खिड़कियाँ प्राची की अब धीरे धीरे  अगवानी का थाल सजाकर चंदन डीप जला...